क्यों न चलें नेतरहाट, जहां पत्थर गाते हैं और पेड़ सुनते हैं। जहां चट्टानों के संगीत के बीच सूर्य जागता है और सोता है। जहां आकाश की नीलिमा और धरती की हरीतिमा सूर्य की लालिमा के साथ एक नया रंग रचती है भोर की पहली किरण फूटने को है। रात के सितारे पहले ही आकाश में छाती नीलिमा में खोने लगे हैं। आसमान भी हर पल अपना रंग बदलने को आतुर है। तभी परिंदे भी सब तरफ से आकर उड़ने लगे हैं- गाते, नाचते और चहचहाते। आसमान में कहीं-कहीं बादल के टुकड़े हमेशा की तरह आवारा टहल रहे हैं। आखिरकार सूरज की चमक दिखलाई दी और क्षितिज में उसकी लालिमा सब तरफ फैल गई है। आसमान मानो सुनहरा हो गया। आखिर सूरज अपने काम से कब चूका है! नेतरहाट में सूर्यास्त का नजारा यह नेतरहाट का नजारा है। यह झारखंड का देहात है, राजधानी रांची से लगभग 155 किलोमीटर दूर। जैसे मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है, उसी तरह से नेतरहाट को छोटा न...
Read MoreTag: tribes
Tourists will miss the buzz around this year, which has been associated with the magical Hornbill Festival of Nagaland. The Nagaland government has decided to celebrate the popular Hornbill festival virtually this year, amid the surge in COVID-19 cases in the country. In a statement issued on Saturday night, the department of tourism said the annual festival would be observed over audio visual media channels and social media platforms this time, and people can enjoy the tribal dance performances sitting at home. The content for the online programme will be sourced from government archives, it said. Hornbill Festival, held every year from December 1 to 10, showcases the culture, heritage, food and customs of Naga tribes at Kisama village. Sixteen tribes come together to celebr...
Read More
You must be logged in to post a comment.