Wednesday, December 25
Home>>सैर-सपाटा>>विदेश>>दक्षिण अमेरिका>>पेरू>>राजसी रेल यात्रा माच्चू-पिच्चू शिखरों के लिए
पेरूशानदार सफर

राजसी रेल यात्रा माच्चू-पिच्चू शिखरों के लिए

कोविड-19 महामारी के असर के कारण बेलमोंड हिरम बिंघम इन दिनों नहीं चल रही है लेकिन 7 अक्टूबर 2020 से इसका सफर फिर शुरू हो जाएगा जो 31 मार्च 2021 तक चलेगा। इस दौरान ट्रेन सप्ताह में सिफ एक दिन बुधवार को चलेगी। सब ठीक रहा तो उसके बाद इसका नियमित सफर शुरू हो जाएगा।

तकरीबन 13 साल पहले साल एक गैर सरकारी कवायद में दुनिया के जो नए सात आश्चर्य चुने गए थे, पेरू में माचू-पिच्चू के शिखर भी उनमें से एक थे। ये शिखर इंका सभ्यता के अवशेषों को अपने में समेटे हुए हैं। इन्हीं की यात्रा कराती है एक राजसी ट्रेन। ज्यादातर लोगों के लिए समुद्र तल से 2350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माच्चू-पिच्चू के शिखरों की यात्रा अपने आप में एक दुर्लभ अनुभव होती है। यह ट्रेन इस जादुई यात्रा को और भी यादगार बना देती है। इंका सभ्यता के इस गुमशुदा शहर (लॉस्ट सिटी) जाने के दो ही तरीके हैं, या तो पेरू रेल की ट्रेनों से या फिर पैदल।

खूबसूरत घाटी से गुजरती हिरम बिंघम लग्जरी ट्रेन

यूं तो इस इलाके में पेरू रेल की कई सेवाएं हैं और इनमें विस्टाडोम ट्रेनें भी हैं, लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय है उसकी राजसी ट्रेन। इस ट्रेन का नाम है बेलमोंड हिरम बिंघम। इसे उसी खोजी आदमी के नाम पर रखा गया है जिसने 23 जुलाई 1911 को इन अद्भुत इंका अवशेषों को खोज निकाला था। हिरम बिंघम को कस्को और माच्चू-पिच्चू के बीच यात्रा का सबसे आलीशान जरिया माना जाता है। कुछ ट्रेनों की साज-सज्जा, बनावट व राजसी वैभव की वजह से कहा जाता है कि वे आपको अतीत के किसी दौर में ले जाती हैं, लेकिन यह ट्रेन तो आपको वाकई कई शताब्दियों पहले, दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक की सैर को ले जाती है।

हिरम बिंघम की डाइनिंग कार

हिरम बिंघम की सेवाएं 2003 से शुरू हुईं। नीले व सुनहरे रंग में रंगे इसके डिब्बे 1920 के दशक की पुलमैन ट्रेनों की शानो-शौकत की याद दिलाते हैं। आज भी उनमें उसी दौर की भव्यता है और साथ ही साथ साद-सज्जा में पेरु के इस इलाके की मौलिकता भी। ट्रेन में दो डाइनिंग कार, एक ऑब्जर्वेशन कार और एक किचन कार है और एक बार में 84 यात्रियों को ले जाने की इसकी क्षमता है। हर डाइनिंग कार में 42-42 लोग बैठ सकते हैं। इस ट्रेन क शुरुआत भी कई दशों के मिले-जुले सहयोग से थी। इसके चेसिस दक्षिण अफ्रीका में बने और डिब्बे एक फ्रांसीसी कंपनी से लिए गए और फिर उन्हें पेरू लाया गया।  ट्रेन की शुरुआत पहले पेरु रेल ने की थी बाद में इसका प्रबंधन बेलमोंड कंपनी को दे दिया गया जिसके पास दुनिया की ओर कई जानी-मानी लग्जरी ट्रेनों के संचालन का भी जिम्मा है।

ट्रेन की ऑब्जर्वेशन कार

यह दुनिया की बाकी शाही रेलगाडिय़ों की तरह नहीं क्योंकि इसमें बिस्तर, अलग केबिन या रात बिताने की सुविधा नहीं है। यह ट्रेन कस्को के पास परोय स्टेशन से माच्चू-पिच्चू तक का कुल जमा 57 मील का सफर साढ़े तीन घंटे में पूरा करती है। सवेरे नौ बजे शुरू होने वाली यात्रा साढ़े 12 बजे माच्चू-पिच्चू पर खत्म होती है और वापसी में शाम को सवा छह बजे सफर शुरू होता है जो दस बजे परोय में खत्म होता है। दिन में बीच के चार-पांच घंटे एक जानकार गाइड के निर्देशन में इंका सभ्यता के अद्भुत अवशेषों को देखने में लगाए जाते हैं। वैसे गाइड पूरे रास्ते में भी आपको तमाम जानकारियां देते रहते हैं।

स्टेशनों पर और ट्रेन के भीतर पारंपरिक नृत्य व संगीत का प्रदर्शन

सफर में जिस समय आप डाइनिंग कार में नाश्ता या भोजन न कर रहे हों तो समय बिताने, आराम से बैठने व गपशप करने के लिए एक ऑब्जर्वेशन सह बार कार है। इस डिब्बे की चौड़ी खिड़कियां जहां आपको बाहर की प्राकृतिक खूबसूरती का शानदार नजारा दिखलाती हैं, वहीं अंदर मौजूद बार आपको तर करता रहता है। ट्रेन का रास्ता एंडीज पर्वत श्रृंखला के बीच नदियों, गांवों व हरी-भरी वादियों से होकर गुजरता है। यह रहस्यमयी वादियां हमेशा से बड़ी अहम मानी जाती रही है और स्थानीय किवदंतियों में इस समूचे इलाके को इंका साम्राज्य का केंद्र होने के कारण सेक्रेड माना जाता है। इसलिए सफर में भी पूरा लुत्फ मिलता है। कस्को से रवाना होने के बाद पहले आधुनिक शहर से मध्यकालीन से लगते शहरों तक आप पहुंचते हैं और फिर एंडीज पर्वतमाला से पछाड़े मारकर उतरती नदियों को पार करके बादलों से घिरी मिथकीय घाटियों में पहुंच जाते हैं और वहां से गुजरकर आप अचानक जब माच्चू-पिच्चू पर इंका के अवशेषों के सामने खुद को खड़ा पाते हैं तो लगता है कि साढ़े तीन घंटे के भीतर आप कई सदियों पहले चले गए हैं। ध्यान देने की बात यह भी है कि ट्रन के रवाना होने वाले स्टेशन यानी परोय की समुद्र तल से ऊंचाई ज्यादा यानी 3,486 मीटर है और माच्चू-पिच्चू स्टेशन की ऊंचाई कम यानी 2,038 मीटर है।

मिथकीय घाटी से गुजरता ट्रेन का रास्ता

सवेरे कस्को से चलने के बाद ट्रेन में ब्रंच (ब्रेकफास्ट और लंच के बीच की चीज) मिलता है। दोपहर में माच्चू-पिच्चू पहुंचने पर वहां चाय मिलती है। शाम को ट्रेन में वापसी के सफर पर रवाना होने के बाद एक बार फिर चाय मिलती है। उसके बाद कॉकटेल और लजीज डिनर। शाम के समय की एक और खास बात लाइव म्यूजिक और मनोरंजन होता है। पेरू के पारंपरिक कलाकार ट्रेन के भीतर अपने संगीत व कला से आपको रू-ब-रू कराते हैं। इनकी कला में आपको दक्षिण अमेरिकी मस्ती व जीवंतता मिलेगी।

माच्चू-पिच्चू पर इंका सभ्यता के अवशेष

बेलमोंड हिरम बिंघम पूरे साल हर महीने के आखिरी रविवार को छोड़कर रोजाना चला करती है। यूं तो इसकी क्षमता 84 सैलानियों की है लेकिन गाड़ी चलाने के लिए कम से कम 15 सैलानी होना जरूरी है। अप्रैल से अक्टूबर का समय व्यस्त सीजन का होता है। नवंबर से मार्च का समय मंदी का होता है। विशेष मांग की स्थिति में ट्रेन को चार्टर भी किया जा सकता है। ट्रेन का किराया प्रति व्यक्ति 990 डॉलर यानी लगभग साढ़े 72 हजार रुपये है। इस किराये में ट्रेन का किराया, वेलकम ड्रिंक, पानी, कॉफी, लाजवाब वाइन, जाते समय ब्रंच, 15 यात्रियों पर एक प्रोफेशनल टूर गाइड, ट्रेन से उतरने के बाद माच्चू-पिच्चू स्टेशन से इंका अवशेषों तक आना-जाना, वहां का प्रवेश शुल्क, माच्चू-पिच्चू पर बेलमोंड सेंक्चुअरी लॉज में ही दोपहर की चाय, वापसी के सफर में गरम-ठंडे पेय, वाइन, कॉकटेल और तमाम तरह का खाना- सब कुछ शामिल है। यानी एक बार ट्रेन में पहुंचने के बाद आपको किसी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं है। यहां तक कि शाकाहारी लोगों के लिए भी विशेष मेनू की व्यवस्था है। ट्रेन चार्टर की जाए तो मेनू भी अपनी पसंद से तैयार कराया जा सकता है।

Discover more from आवारा मुसाफिर

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading