इस नदी को देखकर एक गीत बरबस याद आ जाता है- ‘ये कौन चित्रकार है, ये कौन चित्रकार।’ कुछ लोग कहते हैं कि यह नदी सीधे स्वर्ग से जमीन पर उतरी है तो कुछ लोग इस रंगों का विस्फोट बताते हैं। कुछ लोगों के लिए यह पानी में फैला इंद्रधनुष है। लेकिन इस बात में कई दोराय नहीं कि यह दुनिया की सबसे खूबसूरत नदी है। इसलिए भी, क्योंकि इस नदी की दुनिया में कोई और मिसाल नहीं है। इस नदी में जो चमत्कार छिपा है, वह दुनिया में और कहीं भी पानी में नजर नहीं आएगा।
दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के कोलंबिया में स्थित इस नदी कान्यो क्रिस्तालेस को पांच रंगों वाली नदी भी कहा जाता है। यह स्पेनिश भाषा का नाम है। अंग्रेजी में इसके नाम का आशय है क्रिस्टल चैनल। साल के ज्यादातर समय आप इस नदी को देश-दुनिया की बाकी नदियों से अलहदा महसूस नहीं कर पाएंगे। वैसे ही चट्टानी तलहटी, हरी काई और शांत-साफ पानी। लेकिन फिर अचानक साल में कुछ समय के लिए मानो कोई आकर इस नदी को कूची से रंग जाता है। पानी में आपको लाल, नीला, पीला, नारंगी और हरा रंग बिखरा नजर आने लगता है।
उस इलाके के गीले व सूखे मौसमों के बीच के कुछ महीनों के लिए, जब पानी का स्तर बिलकुल उपयुक्त होता है, उस समय नदी की तली में छुपा एक अनूठा पौधा मैकेर्निया क्लेविगेरा चटख लाल रंग में बदलने लगता है। उसी में धीरे-धीरे बाकी रंग आकार लेने लगते हैं- पीला, नीला, नारंगी और हरा। और इन पांच रंगों के मेल से बनने वाले कई और रंग पानी में दिखने लगते हैं। दरअसल ठीक पहले जो बारिशों का मौसम होता है, उसमें इस नदी में पानी इतना गहरा और तेज बहता है कि इस पौधे पर उतनी सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती जो उसे लाल रंग में तब्दील होने में मदद दे। उधर बाद के शुष्क मौसम में पानी इतना कम हो जाता है कि उसमें किसी वनस्पति जीवन के पनपने की संभावना कम रहती है। लिहाजा यह सारा चमत्कार उस बीच के महीनों का है जब पानी शांत होता है और उसका स्तर बस इतना कि पौधों को जीवन मिलता रहे और उन तक सूरज की रोशनी पहुंचती रहे। बस, फिर यह चमत्कार रूप लेने लगता है। यह सारा रंग उन पौधों का है जो पानी के पार साफ नजर आते हैं। इस तरह से हर साल सितंबर से नवंबर के बीच यह नदी जिंदा इंद्रधनुष में तब्दील हो जाती है।
मजेदार बात देखिए कि प्रकृति ने इस खूबसूरत कलाकारी को इतना सहेजकर रखा है कि यहां पहुंचना भी मुश्किल है। यह भी शायद कुदरत का खुद को बचाए रखने का कोई तरीका होगा। कान्यो क्रिस्तालेस कोलंबिया के एक बेहद अंदरुनी इलाके में स्थित है जहां सड़कें नहीं हैं। वहां तक पहुंचने के लिए थोड़े रोमांच का सहारा लेना होता है। वैसे अब सैलानी पास के एक शहर ला मैकेरेना तक हवाई जहाज से पहुंच सकते हैं। वहां से उन्हें “सेरानिया द ला मैकेरेना” नेशनल पार्क तक का सफर करना होता है जिसमें यह नदी स्थित है। सेरानिया द ला मैकेरेना नेशनल पार्क तीन विशाल इकोसिस्टम्स के मुहाने पर है- एंडीज, ईस्ट्रर्न लानोज और एमेजन रैनफॉरेस्ट। ये तीनों ही अपनी जैव विविधता के लिए जाने जाते हैं।
कोलंबिया में अशांति की वजह से यह इलाका दशकों तक सैलानियों की पहुंच के बाहर था। फिर 2009 के बाद से यहां सैलानियों को जाने की इजाजत मिली। एक डर सैलानियों की अंधाधुंध आवाजाही से इस अनूठे कुदरती करिश्मे को कोई नुकसान पहुंचने का भी था। इसीलिए अब भी ला मैकेरेना से नदी तक घोड़े या खच्चर की पीठ पर बैठकर और कुछ रास्ते पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है। यहां किसी को रात में रुकने या कुछ पकाने की इजाजत नहीं है।
बाहरी दुनिया के लिए भले ही यह नदी थोड़ी सी नई सी हो लेकिन यहां के मूल निवासी इसके बारे में पीढ़ियों से जानते रहे हैं। इस नदी के कई हिस्सों के नाम भी लंबे समय से चले आ रहे हैं। यहां आप किसी स्थानीय गाइड की मदद से ही जा सकते हैं। दरअसल कोलंबिया में अब भी अशांति है। लेकिन कोलंबिया की सेना ने ला मैकेरेना के आसपास के 30 वर्ग किलोमीटर इलाके पर अपना नियंत्रण कायम कर रखा है। ला मैकेरेना के लिए उड़ानें बोगोटा या विलाविसेंचियो से मिल सकती हैं। ला मैकेरेना का हवाई अड्डा भी बहुत छोटा सा है और वहां हवाई जहाज से सामान उतारने वाले ट्रक को अब भी खच्चर से खींचा जाता है। चूंकि इस नदी में यह रंग केवल साल के कुछ महीनों के लिए ही देखा जा सकता है, इसलिए आम तौर पर जनवरी से मई-जून तक इस इलाके में सैलानियों को जाने की इजाजत नहीं होती। सीजन में भी एक दिन में केवल 200 ही लोगों को यहां जाने की इजाजत होती है और किसी एक समूह में सात से ज्यादा लोग नहीं हो सकते। जितनी अनूठी यह जगह है, उसको बचाने के लिए शायद यह बहुत जरूरी भी है।
(सभी चित्र इंटरनेट से साभार)
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