Thursday, December 26
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आंध्र में फिर शुरू होंगी पर्यटन गतिविधियां

आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में पर्यटन गतिविधियों को इस महीने से फिर से शुरू करने का फैसला किया है। कोविड-19 के कारण पर्यटन गतिविधियों के ठप होने से सरकार को खासा राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसीलिए राज्य सरकार नई पर्यटन नीति भी जारी कर रही है। इसी दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए अनलॉक 3.0 दिशानिर्देशों के अनुरूप अंतर-राज्यीय आवागमन को और उदार बना दिया है।

हालांकि उसने अपनी सीमाएं पूरी तरह से तो नहीं खोली हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश में आने वाले लोगों को अब कल यानी 2 अगस्त से एंट्री पास के लिए केवल अपना विवरण राज्य सरकार के स्पंदना पोर्टल (spandana.ap.gov.in) पर दर्ज कराना होगा। राज्य के प्रमुख सचिव (परिवहन) एम.टी. कृष्णा बाबू के अनुसार ई-पास ऑटो जेनरेटेड होगा और इसे लोगों के मोबाइल व ई-मेल पर भेज दिया जाएगा, जिसे किसी वैध पहचान पत्र के साथ सीमा चेकपोस्ट पर दिखाया जा सकता है। ऑटो जेनरेटेड होने से ई-पास हासिल करने में किसी तरह का वक्त नहीं लगेगा। इससे राज्य सरकार आने-जाने वाले लोगों का रिकॉर्ड रख सकेगी और उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखेगी।

राज्य सरकार तिरुपति, सिंहाचलम, द्वारका में मंदिर पर्यटन गतिविधियों को शुरू कर रही है। इसके साथ ही तिरुपति, कणिपकम व श्रीकालाहस्ती के लिए टूरिस्ट पैकेज भी शुरू हो जाएंगे। पर्यटन गतिविधियों पर पाबंदियां हटने से विजयवाड़ा में कृष्णा नदी में स्थिति भवानी द्वीप और विशाखापत्तनम में कैलासागिरी जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को भी लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। राज्य के सभी 13 जिलों के अधिकारियों के साथ एक वीडियो कांफ्रेसिंग मीटिंग के बाद पर्यटन मंत्री अवंती श्रीनिवास ने बताया कि कृष्णा व गोदावरी नदी में कोविड-19 के कारण बंद पड़ी नौकायन गतिविधियों को भी 15 अगस्त से फिर चालू कर दिया जाएगा।

फिलहाल, पर्यटन गतिविधियों के ठप होने से पर्यटन मंत्रालय ने कम ऑक्यूपेंसी वाले विभाग के सभी होटलों को क्वारेंटाइन सेंटर के रूप में लोगों को किराये पर देने का भी फैसला किया है। ऐसा इस वजह से भी जरूरी था कि पिछले कुछ दिनों से राज्य में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इससे इन होटलों के राजस्व की भी थोड़ी क्षतिपूर्ति हो जाएगी, जो कम से कम 75 फीसदी तक कम हो चुका है। कई निजी होटल पहले ही क्वारेंटाइन सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नेल्लोर में टूरिज्म होटल को क्वारेंटाइन सेंटर के रूप में किराये पर देने से पिछले कुछ महीनों में 2 करोड़ रुपये की आय हुई है।

राज्य सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में तेजी लाने के लिए केंद्र से 1000 करोड़ रुपये की मदद मांगी है। पर्यटन मंत्री का कहना है कि इस क्षेत्र में निजी-सार्वजनिक भागीदारी बहुत अहम है। जल्द ही बड़ी होटलों को खोलने के बारे में भी फैसला किया जाएगा।

श्रीनिवास का कहना था कि अपने लंबे समुद्र तट और कृष्णा, गोदावरी व पेन्ना जैसी नदियों के अलावा राज्य का पर्यटन मंत्रालय अराकू, पाडेरु, यल्लामला व होर्सले हिल्स जैसी जगहों को भी बढ़ावा देगा। राज्य में ऐसी कई जगहें हैं जिनका पर्यटन के लिहाज से अभी पूरा दोहन नहीं हुआ है। निजी-सार्वजनिक भागीदरी में कई इको-टूरिज्म हब भी विकसित किए जाएंगे।

जल्द ही आने वाली नई पर्यटन नीति के बारे में श्रीनिवास ने कहा कि राज्य में पर्यटन क्षेत्र में निवेश के काफी अवसर हैं। एडवेंचर, इको, नदी, तटीय व ग्रामीण पर्यटन को नई नीति में खास अहमियत दी जाएगी। मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद निजी-सार्वजनिक भागीदारी में राज्य में पांच सितारा व सात-सितारा होटल भी स्थापित किए जाएंगे। राज्य में मंदिर पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए राज्य के विभिन्न प्रमुख मंदिरों में ढांचागत सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कोविड-19 के बाद के दौर में सुरक्षा के लिहाज से वैसे भी नए तौर-तरीके विकसित किए जाएंगे। सिंहाचलम मंदिर को पहले ही केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत विकसित किए जाने के लिए चुना जा चुका है। कई और मंदिरों को इस योजना के दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है।

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