देश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र ही कुल्लू घाटी में पसरी बर्फ। इसलिए मनाली से रोहतांग तक पर्यटकों की आमद यहां लाखों लोगों के रोजगार का जरिया बन जाती है। बर्फ मानो चांदी की बरसात लेकर आती है। बसंत के बाद मैदानों की तपिश जैसे-जैसे बढ़ने लगती है, देश भर का पर्यटक इससे कुछ निजात पाने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करने लगता है। ज्यों ज्यों मैदान ज्यादा गर्म होने लगते हैं त्यों त्यों पर्यटकों का यह रेला बढ़ता जाता है, मगर फिर जैसे ही मानसून दस्तक दे देता है तो यह सिलसिला एकदम से रुक जाता है, पूरी घाटी सूनी हो जाती है। यहां की खूबसूरती मन मोहने वाली है लेकिन बदलते हालात में अब पर्यटकों की पसंद भी बदलने लगी है और वह जहां गर्मी से निजात पाने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करते हैं, वहीं उनकी पसंद बर्फ पर कूदना, भागना, गिरना, पड़ना, फिसलना, उड़ना और अठखेलियां करना भी हो गया है। बर्फ के फाह...
Read Moreअब कोविड-19 के दौर में हिमाचल के दुर्गम इलाकों में पहुंचना तो कठिन ही लग रहा है। वैसे स्पीति घाटी में जाने का समय अक्टूबर के महीने तक रहता है। क्या पता तब तक हाल सुधर जाए! इसीलिए हम आपको बता रहे है इस खूबसूरत झील के बारे में। यहां पहुंच कर हर किसी के मुंह से अनायास ही निकल जाता है कि जमीन पर यदि जन्नत है तो बस चंद्रताल में ही है। समुद्रतल से 14500 फीट की उंचाई पर हिमाचल प्रदेश के कबाइली क्षेत्र स्पीति में रेतीले, नंगे और सूखे पहाड़ों के बीच मीलों दायरे में फैली एक झील चंद्रताल जो अपने निर्मल शांत जल के लिए जानी जाती है, जिसमें नजर आता है आसमां और जमीन का अक्स, जो किसी को भी रोमांचित किए बिना नहीं रहता। मेरा यहां पर चौथी बार जाना हुआ तो न केवल सफर बल्कि यहां की आवोहवा का भी काफी नजारा बदला सा लगा। इस बार स्पीति में 80 फीसदी बारिश कम हुई है ऐसे में पूरे क्षेत्र से हरियाली गायब है, ठहर...
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