नल सरोवर भारत में ताजे पानी के बाकी नम भूमि क्षेत्रों से कई मायनों में भिन्न है। सरदियों में उपयुक्त मौसम, भोजन की पर्याप्तता और सुरक्षा ही इन सैलानी पक्षियों को यहां आकर्षित करती है। सरदियों में सैकड़ों प्रकार के लाखों स्वदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इतनी बड़ी तादाद में पक्षियों के डेरा जमाने के बाद नल में उनकी चहचाहट से रौनक बढ़ जाती है। सितंबर 2012 में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का रामसर नम भूमि क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया गया था। नल में इन्हीं उड़ते सैलानियों की जलक्रीड़ाएं व स्वर लहरियों को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां प्रतिदिन जुटते हैं। पर्यटकों के अतिरिक्त यहां पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधार्थी व छात्रों का भी जमावड़ा लगा रहता है तो कभी-कभार यहां पर लंबे समय से भटकते ऐसे पक्षी प्रेमी भी आते हैं जो किसी खास पक्षी के छायाचित्र भी उतारने की तलाश में रहते...
Read Moreवैसे तो भोपाल की पहचान झील नगरी के तौर पर है लेकिन इसी नगर में दर्जन भर नायाब संग्रहालय भी हैं। इतने संग्रहालय शायद ही किसी दूसरे शहर में आपको मिलें। इसलिए इस बात पर अफसोस होता है कि जब भी भोपाल का जिक्र होता है तो झीलों के बीच यहां के संग्रहालयों की बात कहीं गुम होकर रह जाती है। यूं तो संग्रहालय देश के हर शहर में मिल जाएंगे लेकिन भोपाल के संग्रहालयों की बात कुछ अलग है। मध्यप्रदेश पुरा सामग्री के लिहाज से सबसे समृद्ध राज्यों में एक है। इसलिए सामग्री के लिहाज से यहां के संग्रहालय काफी समृद्ध हैं। भोपाल के दर्जन भर संग्रहालय व सांस्कृतिक केंद्र इसको एक अलग पहचान देते हैं। इनमें मानव जीवन की झांकी से लेकर राज्य की पुरा धरोहरों, आदिम जनजीवन, प्रदर्शनकारी कला, समाचार पत्र पत्रिकाओं के विकास, दूरसंचार, इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम की झलक से रु-ब-रु हुआ जा सकता है। बड़ी छोटी झीलें भ...
Read Moreउत्तराखंड में कुछ स्थलों पर प्रकृति कुछ अधिक ही मेहरबान दिखती है जिनमें गढ़वाल जिले का खिर्सू भी एक है। इसके एक ओर गगन चूमती भव्य हिमचोटियों दिखती है तो पीछे बांज, बुरांश व देवदार आदि पेड़ों का सम्मोहित कर जाने वाला घना जंगल। शान्ति ऐसी कि बाहरी शोर प्रकृति की निशब्दता के बीच बेसुरा व अलग सा लगने लगता है। समुद्रतल से लगभग 1750 मीटर की ऊंचाई पर बसा खिर्सू एक गांवनुमा कस्बा है और इसी नाम से बने विकासखण्ड का प्रशासनिक केंद्र भी। बताया जाता है कि खरसू के पेड़ों की बहुलता के कारण ही एक अंग्रेज अधिकारी ने इस जगह को यह नाम दे दिया। शोरोगुल से दूर खिर्सू ऐसे पर्यटकों की पसंदीदा जगह हैं जो शोरोगुल व भीड़ से दूर रहकर प्रकृति के सानिध्य का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं। खिर्सू दूसरे स्थानों के विपरीत भीड़-भाड और हो-हल्ले से कोसों दूर है। गांव के जितना सीमित और बाजार के न...
Read Moreउत्तर भारत के हिमालयी राज्यों में बसे उन खूबसूरत छावनी नगरों में से एक है लैंसडौन जिन्हें अंग्रेजों ने स्थापित किया था। इसलिए लैंसडौन का इतिहास तो पुराना नहीं, लेकिन फिर भी वह पहाड़ में बसे बाकी हिल स्टेशनों की तुलना में शांत है। लेकिन हकीकत यह भी है कि अंग्रेजों ने छावनियां बनाने के लिए उन्हीं जगहों को चुना भी था जहां प्रकृति ने भी जमकर खूबसूरती बिखेरी थी। इसीलिए उत्तराखंड में लैंसडौन शहर बसाने की इंसानी मेहनत के साथ कुदरत की नियामत का बढ़िया मेल है दिल्ली से निकटता के अलावा लैंसडौन की कई खूबियां बार-बार यहां आने को आमंत्रित करती हैं। अन्य हिल स्टेशनों में चौतरफा कंक्रीट के जंगलों के उगने से वह उतने नैसर्गिक नहीं रहे जितना कि गढ़वाल के पौड़ी जिले में स्थित लैंसडौन। यहां प्रकृति को उसके अनछुऐ रूप में देखा जा सकता है। आज भी यह सैलानियों व वाहनों की भीड़ और शोर व प्रदूषण से दूर यह एक बेह...
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