हिमालय का अलौकिक सौंदर्य, उससे निकलती कल-कल छल-छल नदियों का संगम, मीलों तक फैला वन क्षेत्र और सुरम्य घाटियां उत्तराखंड की सबसे बड़ी धरोहर हैं। प्रकृति का ये अनुपम उपहार उसे शेष दुनिया से अलग पहचान देता है यही वजह है कि यहां हर मौसम में सैलानियों की आवाजाही रहती है। गढ़वाल की ऊंचाइयों मे प्रकृति के हाथों बेहिसाब सुंदरता बिखरी पड़ी है। गंगोत्री के रास्ते में हर्षिल आम सैलानी स्थलों से अलग है- शांत व मनोरम. भीड़-भाड़ से मुक्त। लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां जाने वाले सैलानियों की तादाद बढ़ी है। अब जब कोरोना के कारण लगी आने-जाने की पाबंदियां हट गई हैं तो आइए करें फिर से एक बार पहाड़ों का रुख गढ़वाल के अधिकतर सौंदर्य स्थल दुर्गम पर्वतों में स्थित हैं जहां पहुंचना सबके लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि प्रकृति प्रेमी पर्यटक इन जगहों पर पहुंच नहीं पाते हैं। लेकिन ऐसे भी अनेक पर्यटक स्थल हैं जहा...
Read Moreकोरोना की वजह से उत्तराखंड के देवीधुरा के वाराही धाम में लगने वाले प्रसिद्ध बग्वाल (पाषाण युद्ध) मेले को इस साल निरस्त कर दिया गया है। इस बार न तो मेला लगेगा और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। कुछ दिन पहले तय हुआ था कि रक्षाबंधन के दिन खोलीखांड दुबचौड़ मैदान में परंपरा को जीवित रखने के लिए सांकेतिक बग्वाल खेली जाएगी। लेकिन अब यह फैसला हुआ है कि अब बग्वाल के दिन मंदिर में केवल पूजा-अर्चना ही होगी। सिर्फ मंदिर समिति को प्रवेश की अनुमति मिलेगी। वाराही धाम में सांकेतिक बग्वाल भी नहीं होगी। रक्षाबंधन पर मंदिर समिति और चार खाम से जुड़े लोग केवल पूजा अर्चना करेंगे। ग्रामीणों को घरों में देवी का प्रसाद भेजा जाएगा। चार अगस्त को देवी का डोला मुचकुंद ऋषि आश्रम जाएगा। इस डोले में भी चार से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। लिहाजा बग्वाल होगा नहीं, लेकिन हम आपको बता रहे हैं, इससे जुड़ी कहानी जिसन...
Read Moreउत्तराखंड उन चंद राज्यों में से है जिन्होंने कोविड-19 के दौर में पर्यटन को फिर जिंदा करने के लिए अपने राज्य की सीमा को सैलानियों के लिए फिर से खोल दिया है। हालांकि राज्य के बाहर के लोगों को अभी चार धाम यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन उस इलाके में चार धामों के अलावा भी कई जगहें इस समय देखी जा सकती हैं, चोपता तुंगनाथ उन्हीं में से है उत्तराखंड की हसीन वादियां किसी भी पर्यटक को अपने मोहपाश में बांध लेने के लिए काफी है। कलकल बहते झरने, पशु-पक्षी ,तरह-तरह के फूल, कुहरे की चादर में लिपटी ऊंची पहाडिय़ा और मीलों तक फैले घास के मैदान, ये नजारे किसी भी पर्यटक को स्वप्निल दुनिया का एहसास कराते हैं....चमोली की शांत फिजाओं में ऐसा ही एक स्थान है- चोपता तुगंनाथ। बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये इलाका गढ़वाल हिमालय की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमत...
Read More
You must be logged in to post a comment.