नॉर्वे में किसी उड़न तश्तरी से प्रेरित यह होटल ऑरोरा बोरेअलिस देखने के लिए एक दूसरी दुनिया सरीखा माहौल खड़ा करता है उड़न तश्तरियां हमेशा से हमारी विज्ञान फंतासियों का अहम केंद्र रही हैं। फिल्मों, कहानियों में उड़न तश्तरियों को देखकर हम बचपन में कितने रोमांचित होते रहे हैं। मन करता रहा है न कि कहीं किसी खुले मैदान में अचानक आसमान से कोई उड़न तश्तरी उतर पड़े और कोई दूसरे ग्रह का प्राणी अचानक हमारे सामने आ खड़ा हो हाथ मिलाने लगे। उड़न तश्तरी और दूसरे ग्रह पर जीवन हमेशा से हमारे वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष की खोज के सबसे जटिल पहलुओं में से रहा है। ऐसे में कितना रोमांचक हो कि आप किसी ऐसे होटल में रुकें जो उड़न तश्तरी की शक्ल का हो। जहां इतना वीराना हो कि उड़न तश्तरी के सामने आ उतरने की कल्पना साकार होने का खयाल हमेशा तैरता रहे। वहां के कमरे किसी स्पा सरीखे हों और सामने बर्फीले...
Read Moreलगभग 7000 ईसा पूर्व में जब हिमनदों का सिकुड़ना शुरू हुआ तो अनावृत हुई धरती पर शिकारी जंगली रेनडियरों के पीछे उत्तर की ओर बढ़े। तकरीबन 2500 ईपू के बाद जनजातियों ने खेती करना सीखा। वे 1500 ईपू के आसपास काँसे के औज़ार और हथियार बनाने लगे थे। फिर 500 ईपू में वे लोहा इस्तेमाल में ले आए थे। उस आदिम जाति का नाम अब विलुप्त हो चुका शब्द कोमसा था। इस इलाके के शिकारियों के मौजूदा वंशज लाप्प या उनके अपने शब्द सामी से जाने जाते हैं। वे अब रेनडियरों का पालन करते हैं। उनकी भाषा उराल-अल्ताइक समूह की फिन्नो-उग्रिक परिवार से है जो फिन लोगों से संबंधित है। ये फिन लोग लगभग सौ वर्ष ईस्वी में बाल्टिक समुद्र पार करके आए और धीरे-धीरे उन्होंने सामी लोगों को उत्तर ध्रुवीय इलाकों की ओर धकेल दिया। पहली सदी ईस्वी में फिन्नो-उग्रिक बोलने वाले क़बीले बाल्टिक के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में खेती करने लगे। इनमें स्वयं फि...
Read More
You must be logged in to post a comment.