लक्षद्वीप भारत की उन जगहों में से हैं जहां आम सैलानी बहुत कम जाते हैं, लेकिन यहां की खूबसूरती अद्भुत है और कई मायनों में तो भारत के कई लोकप्रिय सैलानी स्थलों से भी कहीं ज्यादा
शाम को केरल में कोच्चि (एर्णाकुलम) से रवाना हुआ जहाज अगले दिन सुबह मिनीकॉय की जेटी पर पहुंचने वाला है। सुबह के साढ़े 4-5 बजे होंगे। डेक पर कुछ ही लोग हैं। तभी अरब सागर में दूर से कुछ टिमटिमाता हुआ दिखता है, और फिर वह रोशनी की एक लकीर बन जाती है। आकाश में लालिमा फैलती है। हल्के उजियारे में वह लकीर एक द्वीप में तब्दील होती जाती है और फिर सामने होता है लक्षद्वीप समूह का एक सुंदर द्वीप मिनिकॉय।
गुड मॉर्निंग मिनीकॉय!
जहाज पर गहमागहमी बढ़ जाती है। कुछ लोग डेक पर आते हैं। इधर-उधर दौड़-दौड़ कर समुद्र में उगते सूरज का फोटो लेते हैं। चारों ओर पानी ही पानी और एक हरी-भरी छोटी सी भूमि को सभी विस्मयकारी नजरों से देखते हैं। जहाज पर सैलानियों के अलावा स्थानीय निवासी भी हैं। उनकी अपनी जन्मभूमि। सारे लोग मंत्रमुग्ध ही रहते हैं कि मिनिकॉय से कुछ किलोमीटर दूर जहाज लंगर डाल देता है। और फिर मिनिकॉय से दौड़ती आती मोटर बोट दिखने लगती हैं। यहां से पानी में जहाज से उतरकर मोटर बोट पर और फिर कुछ ही देर में एक छोटे से द्वीप मिनिकॉय की भूमि पर।
मिनिकॉय के मूल निवासियों के अलावा यह द्वीप बाहरी दुनिया के लिए एक खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। भारत के केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे छोटे केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप। इस द्वीप का समुद्र तट बहुत ही खूबसूरत है और यहां स्कूबा डाइविंग सहित वाटर स्पोर्ट से जुड़ी सभी गतिविधियां आयोजित होती हैं। द्वीप भले ही छोटा हो, लेकिन यहां की प्रकृति, सांस्कृतिक विरासत और इतिहास इतना समृद्ध है कि कई दिन यहां बिताए जा सकते हैं।
यहां विश्व विख्यात ट्रैवलर इब्ने बतूता और मार्को पोलो भी अपनी यात्रा के दरम्यान आए थे। जब इब्ने बतूता केरल के तट से मालदीव की ओर जा रहे थे, तब उन्होंने मिनिकॉय में कुछ दिन बिताए थे। उन्होंने इसका जिक्र अपने यात्रा संस्मरण में भी किया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देशाई, पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह, सहित देश के कई महत्वपूर्ण राजनेता भी यहां की यात्रा कर चुके हैं।
लक्षद्वीप द्वीप समूह में मिनिकॉय सुदूर दक्षिण की ओर मालदीव देश के नजदीक स्थित है। यह दक्षिण-पश्चिम कोच्चि से 398 किलोमीटर दूर है और यहां से मालदीव महज 100 किलोमीटर की दूरी पर। मिनिकॉय को स्थानीय नाम मलिकू से जाना जाता है। इसका क्षेत्रफल 4.8 वर्ग किलोमीटर का है औऱ द्वीप की लंबाई महज 11 किलोमीटर है। लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है मिनिकॉय। इसके दक्षिण-पश्चिम में मानव रहित एक छोटा द्वीप विरिंग्ली है।
लक्षद्वीप के अन्य द्वीपों से यहां की संस्कृति और भाषा अलग है, जो मालदीव से मिलती है। यह पहले मालदीव का हिस्सा रहा है। यहां की स्थानीय भाषा महल है, जो मालदीव की अधिकारिक भाषा है। यहां के निवासी मलयाली और हिंदी जानते हैं। वे अंग्रेजी से भी वाकिफ हैं। मिनिकॉय का स्थानीय नृत्य ‘लावा’, ‘बांदिया’, ‘थारा’, ‘डांडी’ और ‘फुली’ हैं। यहां का नौका रेस ‘जहादौनी’ बहुत ही प्रसिद्ध है।
यहां के निवासी स्वादिष्ट व्यंजन, हस्तशिल्प और नौका निर्माण के लिए जाने जाते हैं। मृदभाषी व्यक्तित्व इनकी बड़ी पहचान है। मिनिकॉय को महिलाओं का द्वीप भी कहा जाता है। द्वीप पर महिलाओं की संख्या हमेशा से ज्यादा रही है। पुरुषों का शिपिंग के क्षेत्र में कामकाज के दौरान लंबे समय तक बाहर रहना इसका बड़ा कारण रहा है। मिनिकॉय में 1885 में बना एक ऐतिहासिक दीपस्तंभ केंद्र (लाइट हाउस) है। द्वीप पर नारियल पेड़ के जंगल, केला, पपीता, चीकू और सब्जियों के बागान हैं। द्वीप पर 10 गांव हैं। यहां टुना मछली की सरकारी फैक्टरी है।
द्वीप पर जहाज से उतरने के बाद हम थोड़ी दूर गांव की सड़क और फिर नारियल के पेड़ों के जंगल से होते हुए द्वीप के उत्तर-पश्चिम में बने टूरिस्ट कॉटेज की ओर पहुंच जाते हैं। यहीं पर सफेद रेत वाला समुद्र तट है, जहां वाटर स्पोर्ट की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह द्वीप का एक किनारा है। इधर ग्रामीण आबादी नहीं है। ग्रामीण आबादी पूर्व की ओर मध्य द्वीप पर है। इस तरफ टूरिस्ट कॉटेज और थोड़ी दूरी पर लाइट हाउस है। पश्चिम की ओर बढऩे पर मिनिकॉय से लगभग सटा हुआ ही आबादी रहित विरिंग्ली द्वीप है। यदि समुद्र में पानी उतरा हुआ हो, तो विरिंग्ली पर पैदल आसानी से जाया जा सकता है। इस ओर सूर्यास्त का नजारा अद्भुत होता है। सूरज को समुद्र धीरे-धीरे अपनी आगोश में लेते हुए दिखता है। इस तरफ आसपास के तटों पर डेड कोरल बिखरे हुए दिखते हैं। शाम के धुंधुलके में इधर से लौटते हुए बड़ी संख्या में बहुत ही बड़े आकार के केकड़े इधर दिखाई पड़ते हैं।
मिनीकॉय में स्कूबा डाइविंग का अपना ही आनंद हैं। यदि आपको आगे-पीछे के समय में अंडमान और लक्षद्वीप दोनों की सैर पर जाना है, तो यह कहा जाता है कि पहले आप अंडमान जाए और फिर उसके बाद लक्षद्वीप। यदि पहले लक्षद्वीप चले आए, तो फिर अंडमान के स्कूबा में उतना मजा नहीं आएगा। ऐसा माना जाता है कि अरब सागर स्थित लक्षद्वीप की अंडर वाटर लाइफ बहुत ही खूबसूरत है। यद्यपि तुलना करना उचित नहीं है। अपनी-अपनी विविधताओं के साथ सबकी अपनी खूबसूरती और खासियत हैं। स्कूबा के लिए एक बोट से समुद्र में कुछ किलोमीटर दूर स्थित डाइविंग प्लेटफॉर्म पर जाते हैं। वहां ऑक्सीजन सिलेंडर और मास्क पहन प्रशिक्षित इंस्ट्रक्टर के साथ समुद्र के भीतर प्रवेश करते हैं। महज चंद मिनट… और देखते ही देखते हम अपने को एक अलग ही दुनिया में पाते हैं। चारों ओर रंग-बिरंगी मछलियां, लहराते हुए लाइव कोरल। अंडर वाटर लाइफ की सतरंगी दुनिया से बाहर निकलकर उसके बारे में बयां करने के लिए हमारे पास कोई शब्द नहीं होते। बाहर आकर हकीकत एक सपने की तरह लगने लगती है। नि:शब्दता से बाहर आने में कुछ घंटे नहीं, कई दिन लग जाते हैं।
मिनिकॉय में एक ऐतिहासिक लाइट हाउस है। यह देश के सबसे पुराने लाइट हाउस में से एक है। इसे 1885 में बनाया गया था। चूंकि मिनिकॉय अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग के पास पड़ता है। इसलिए यहां से गुजरने वाले समुद्री जहाजों के लिए यह ट्रैफिक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता रहा। आज जीपीएस सिस्टम से यह काम किया जाता है। लाइट हाउस इस द्वीप का एक आकर्षण है। इसमें पुराने समय से उपयोग की जाने वाली लाइट को प्रदर्शित किया गया है। यहां एक आकर्षक संग्रहालय भी है। आज भी रात में इसे संचालित किया जाता है। लाइट हाउस के ऊपर से मिनिकॉय का विहंगम नजारा बहुत ही शानदार दिखता है।
मिनिकॉय द्वीप पर टुना केनिंग फैक्टरी है। लगभग पांच दशक पहले 8 अक्टूबर 1969 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। यदि मछलियों की गंध से ज्यादा परेशानी न हो, तो इस फैक्टरी को जरूर देखना चाहिए। टुना उन मछलियों में से है, जिसमें ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। टुना की मांग पूरी दुनिया में खासी है। फैक्टरी में ज्यादातर महिलाएं ही काम करती हैं।
यहां से पूरब की ओर बढ़ते हुए गांव की आबादी शुरू हो जाती है। गांव की साफ-सुथरी गलियों में नए और पुराने कतारबद्ध घरों से गुजरते हुए हम द्वीप के पूर्वी हिस्से की ओर जा सकते हैं। उस तरफ नारियल के जंगल और उत्तर-दक्षिण दोनों ओर खूबसूरत समुद्री नजारे को देखते हुए कब सुबह से शाम हो जाए, पता भी नहीं चलता। इसी ओर दक्षिण में एक डूबे हुए जहाज का ऊपरी हिस्सा दिखाई देता है। बहुत पहले यह जहाज रास्ता भटककर द्वीप से टकराकर यहां डूब गया था। द्वीप के इस तरफ समुद्री लहरों के तट से टकराने में हल्के नीले, गहरे नीले, हरे आदि कलर का संयोजन बहुत बेहतरीन दिखता है। नारियल के पेड़ों के बीच से समुद्र का नजारा वाकई अद्भुत होता है। समुद्र तट पर बिखरे तरह-तरह के सीप, टूटे कोरल, तरह-तरह के रंगों के घोंघे बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींचते रहते हैं।
मिनिकॉय में कुल दस गांव हैं। यहां के गांवों को पारंपरिक रूप से ‘आवाह’ कहते हैं। हर गांव का अपना अंदरूनी संगठनात्मक ढांचा होता है। गांव के पारंपरिक सामुदायिक मुखिया को मूपन कहा जाता है। हर गांव में मूपन के बाद दो महिला और दो पुरुष बोदुकका होते हैं। दोनों से एक-एक गांव के आंतरिक और बाहरी मसले को देखते हैं। हर गांव का अपना विलेज हाउस यानी सामुदायिक भवन होता है। यह बहुत ही खूबसूरत होता है। यहां गांव की असेंबली लगती है। साझे त्यौहार, नृत्य व अन्य आयोजन यहां किए जाते हैं। हर गांव की अपनी-अपनी मस्जिद है। यहां के ज्यादातर पुराने घरों के बाहर नेम प्लेट पर उनके निर्माण का साल भी लिखा हुआ है।
मिनिकॉय सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध हैं। यहां सालाना आयोजित होने वाले मिनिकॉय फेस्ट में दो दिनों तक नौका रेस, तैराकी, दौड़, कोस्टगार्ड के रोमांचकारी प्रदर्शन सहित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। यहां की महिलाओं की स्थिति बहुत ही सम्मानजनक होती है। द्वीप की लगभग सारी महिलाएं मिनिकॉय फेस्ट में आती हैं। देर रात तक कलाकारों की हौसला अफजाई ये महिलाएं ही करती हैं। मिनिकॉय में शादी के बाद लड़के को लड़की के घर विदा होकर जाना पड़ता है। शादियों में कई सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
मिनिकॉय वाकई एक खूबसूरत और मंत्रमुग्ध कर देने वाला डेस्टिनेशन है। यहां की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से रू-ब-रू होने के लिए एक बार जाना ही चाहिए। जब एक दिन या फिर कुछ दिन बिताकर वहां से लौटते हैं, तो ‘गुड बाय मिनीकॉय’ के बजाय दिल से यह आवाज निकलती है – ‘सी यू सून मिनीकॉय!’
कैसे जाएं मिनिकॉय द्वीप
मिनिकॉय सहित पूरे लक्षद्वीप के किसी भी द्वीप पर जाने के लिए समुद्री जहाज की यात्रा ही मुख्य साधन है। यहां जाने वाले ज्यादातर जहाज कोच्चि से जाते हैं। कोच्चि से हवाई जहाज से लक्षद्वीप के अगत्ती हवाईअड्डे जाकर वहां से बाकी सभी द्वीपों पर समुद्री जहाज, नौकाओं या कुछ द्वीपों पर हेलीकॉप्टर से भी जाया जा सकता है।
लक्षद्वीप व मिनिकॉय में पर्यटन के लिए सरकारी वेबसाइट पर जाकर सीधे या फिर पंजीकृत एजेंट्स के माध्यम से अलग-अलग टूर पैकेज लिए जा सकते हैं। लक्षद्वीप समुद्रम् पैकेज में एम.वी. कावरत्ती जहाज से 5 दिन की यात्रा लक्षद्वीप के लिए की जा सकती है। इसमें तीन द्वीपों पर एक-एक दिन बिताने का मौका मिलता है। रातें जहाज पर ही बीतती हैं। यानी आप दिनभर द्वीपों पर घूमते हैं, खाते-पीते हैं, तमाम तरह के रोमांच का अनुभव लेते हैं और फिर अंधेरा ढलने से पहले रात बिताने के लिए फिर से जहाज पर लौट आते हैं। मिनिकॉय जाने के लिए पहले यह देख लें कि इस पैकेज के तय तारीख में मिनिकॉय द्वीप शामिल है या नहीं। इस पैकेज में सिर्फ एक दिन मिनिकॉय में घूमा जा सकता है। इसके अलावा स्वेयिंग पाम पैकेज में 6-7 दिन मिनिकॉय में बिताने का मौका मिलता है। मिनिकॉय को करीब से महसूस करने के लिए यह पैकेज बहुत ही बेहतर है। इन तमाम पैकेजों की जानकारी ऑनलाइन मिल सकती है।
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