अगर आप शहर की भीड़-भाड़ से ऊब चुके हैं या आप पक्षी प्रेमी हैं या प्रकृति के सानिध्य में शांतिमय दिन (रात नहीं) गुजारना चाहते हैं और अगर आप सुविधा प्रेमी नहीं हैं, तो आप ‘लाख बहोसी पक्षी विहार’ का रुख कर सकते हैं। सुविधाओं का न होना ही इस पक्षी विहार को विशिष्ट बनाता हैं। बड़े नगरों और मुख्य मार्गों से दूर होने के कारण सामान्य पर्यटक और मोटर गाडिय़ों का शोर व प्रदूषण इस स्थान तक नहीं पहुंचता। पक्षियों के लिए यह एक प्राकृतिक आवास है। इस पक्षी विहार को अपना नाम दो ग्रामों के नाम के युग्म से मिला है। लाख व बहोसी तालाबों को मिला कर इस पक्षी विहार की स्थापना 1988 में की गई थी। फिर 2007 में इसे ‘राष्ट्रीय नम भूमि संरक्षण कार्यक्रम’ के 94 स्थानों में चिह्नित किया गया। बहोसी तालाब का मार्ग सुगम हैं और पर्यटक बहोसी तालाब का भ्रमण ही करते हैं। तुलनात्मक रूप से बहोसी से लाख तालाब का मार्ग दु...
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कालिंजर को कालजयी यूं ही नहीं कहा जाता है। इसने कालखंड के प्रत्येक प्रसंग को, चाहे वो प्रागैतिहासिक काल के पेबुल उपकरण हों, पौराणिक घटनाएं हों या 1857 का विद्रोह हो, सबको बहुत ही खूबसूरती से अपने आंचल में समा रखा है। वेदों में उल्लेख के आधार पर जहां इसे विश्व का प्राचीनतम किला माना गया है, वहीं इसके विस्तार और विन्यास को देखते हुए आधुनिक एलेक्जेंड्रिया से भी श्रेष्ठ। वेदों में इसे रविचित्र और सूर्य का निवास माना गया है। पद्म पुराण में इसकी गिनती नवऊखल अर्थात सात पवित्र स्थलों में की गई है। मत्स्य पुराण में इसे उज्जैन और अमरकटंक के साथ अविमुक्त क्षेत्र कहा गया है। जैन ग्रंथों और बौद्ध जातकों में इसे कालगिरि कहा गया है। कालिंजर का पौराणिक महत्व शिव के विष पान से है। कुछ लोगों का कहना है कि कालिंजर शिव का ही एक नाम है जिसका अर्थ है मृत्यु का नाश करने वाला। समुद्र मंथन में मिले कालकूट के पान ...
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