दक्षिण भारत के कलात्मक इतिहास में पल्लवों की वास्तु व मूर्तिकला का अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान है। इनकी गुफाएं, मंदिर और स्थापत्य भारतीय कला में एक नए अध्याय का सृजन करते हैं। धवल हिमालय से सुदुर दक्षिण में लेकिन नीले समुद्र से थोड़ा उत्तर का भू-प्रदेश अपने अंदर द्रविड़ सभ्यता व संस्कृति की विरासत को बचा कर रख पाने में सफल रहा है। कावेरी की गोद में पली द्रविड सभ्यता का केंद्र ‘तमिलकम प्रदेश’ यानि आज का तमिलनाडु अपने साथ इंसानी मेहनत और उसकी साकार हुई अनूठी कल्पना को सहेजे हुए है, जो पुरातन युग में पत्थरों को तराश कर बनाए गए मंदिरों के रूप में मौजूद हैं। शिल्पियों के औजारों से निकलने वाले अनवरत संगीत के दौर में इंसान की कल्पना को यथार्थ की जमीन मिली और ललित कला की एक खास शैली ने जन्म लिया। सामूहिक श्रम से उपजी इस शैली को द्रविड़ शैली का नाम दिया गया। दक्षिण भारत के पूर्वी भाग मे...
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होगेनक्कल तमिलनाडु का एक स्तब्ध कर देने वाला सौंदर्यबिंदु है। दूर से ही इसकी गर्जना हमें अपनी ओर बुलाती है। पथरीले तटों के मध्य बहती हुई कावेरी नदी की यह गर्जना संपूर्ण होगेनक्कल में व्याप्त है। यद्यपि यह क्षेत्र सामान्यतया सूखा और पथरीला है पर जब से कर्नाटक सरकार ने कावेरी नदी के द्वार तमिलनाडु के लिए खोल दिए हैं और वर्षा का वरदहस्त इस क्षेत्र पर आया है कावेरी नदी और होगेनक्कल झरने के विहंगम रूप ने इसे एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बना दिया है। नदी बिलिगुंडुला से होकर तमिलनाडु में प्रवेश करती है और होगेनक्कल में जल प्रपात का रूप ले लेती है। यहां कावेरी नदी समतल भूमि से होकर बहती है और इस क्षेत्र को हरियाली प्रदान करती है। पत्थरों से टकराकर बहते हुए नदी का दृश्य रोमांचक है। यहां नदी एक जंगल से पूर्ण घाटी से होकर बहती है। कहीं पर यह गहरी है तो कहीं पर उथली। उथले स्थानों पर पेड़ और झाडिय़ां है...
Read Moreकिसी ने खूब कहा है, घूमना पहले आपको अवाक कर देता है और फिर आपको कहानियां कहने के लिए वाचाल बना देता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। कुछ समय पहले मेरा विवाह हुआ और मैंने अपनी जीवन-संगिनी के साथ घूमने जाने की कई सारी योजनाएं बनाईं। शादी से पहले हमने सोचा था कि हम यूरोप जाएंगे। लेकिन फिर कुछ वजहों से हमने यूरोप जाने का इरादा छोड़ दिया। विवेकानंद स्मारक कुछ ऐसा हुआ कि विवाह तक यह तय ही नहीं हो पाया था कि हमें बाद में हनीमून के लिए जाना कहां हैं। फिर विवाह के दो दिन बाद हमने योजना बनाई कि घूमने के लिए दक्षिण भारत निकल पड़ते हैं। हमने बेंगालुरु (बैंगलोर) के लिए टिकट बुक कराए और वहां पहुंच गए। लेकिन तब तक भी हमारे दिमाग में इस बात की कोई योजना नहीं थी कि हमें किन जगहों पर जाना है, कहां ठहरना है, क्या करना है। न तो कोई होटल बुक थे और न यह तय था कि हम ट्रेन से जाएंगे, बस से या कैब से। पहला स...
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