एक ऐसा उत्सव जो फूलों से शुरू होता है और उन फूलों के जरिए स्त्री शक्ति के आह्वान के साथ जल में प्रवाहित होता है, जीवन धारा के रूप में। स्त्री जीवनदायिनी है, स्त्री जीवन धारा को विकसित-पल्लवित-पुष्पित करती है, जीवन को बड़े पालनाघर में डाल पोसती है, नई ऊंचाइयों तक पहुंचाती है और इसलिए उसका खास महत्व है। तेलंगाना के राज्य उत्सव बाथुकम्मा का मूल मंत्र यही है। चूंकि यह शक्ति हर नारी में है, लिहाजा इस उत्सव में किसी देवी-देवता की मूर्त रूप में पूजा नहीं होती। हर औरत इस शक्ति का स्वरूप है, लिहाजा बराबर है। स्त्रीत्व की जयगाथा का ऐसा कोई और उत्सव दुनिया भर में शायद ही हो जिसमें मूर्त रूप में महिलाएं अपनी शक्तियों का जयगान करें और खुश रहने और खुशी बांटने के लिए बहनापे का जगत में विस्तार करें। इस उत्सव का नाम है बाथुकम्मा, जो दक्षिण भारत के तेलंगाना का ...
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