यूं तो समूचा तुर्की अपने अद्भुत नजारों के लिए देखने लायक है, लेकिन उन नजारों में भी कैपाडोकिया की अपनी अनूठी जगह है। दरअसल केवल तुर्की ही नहीं, पूरी दुनिया में यह नजारा और कहीं देखने को न मिलेगा। इसे प्रकृति की रची गई एक कविता भी कहा जा सकता है। देखने में यहां की धरती ठीक वैसी लगती है जैसे कि चांद की सतह के बारे में हम जानते हैं पहाड़ी टीले, घाटियां, गुफाएं। आकाश से देखेंगे तो लगेगा मानो चांद का कोई टुकड़ा काटकर तुर्की में रख दिया गया हो। अब यह प्रकृति, इतिहास और इंसान की मिली-जुली कलाकृति है। इसीलिए 1986 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत का दर्जा दे दिया था। कैपाडोकिया की गहरी खाइयां और घाटियां प्राकृतिक आश्चर्य तो हैं ही, लगभग दो हजार सालों से लोगों का बसेरा भी बनी हुई हैं। इस अद्भुत इलाके में सन 60 ईस्वी में पहली ईसाई बस्तियां बसी थीं। लिहाजा सदियों पुराने चर्च और उस जमाने की चित...
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तुर्की सरकार ने हागिया सोफ़िया को फिर से मसजिद में तब्दील कर देने के फैसले की दुनियाभर में हुई आलोचना के बाद यह सफाई देने की कोशिश की है कि इससे सैलानियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तुर्की के संस्कृति मंत्रालय ने हागिया सोफ़िया का नियंत्रण आधिकारिक रूप से अब देश की सर्वोच्च धार्मिक सत्ता को सौंप दिया है। लेकिन साथ ही उसने यह आश्वासन भी देने की कोशिश की है कि सैलानी उसमें स्वतंत्र रूप से जा सकेंगे और उन्हें उसके लिए कोई भुगतान नहीं करना होगा। इस प्राचीन व ऐतिहासिक कैथेड्रल को मसजिद में परिवर्तित करने के लिए एक सहयोग समझौते पर देश के संस्कृति मंत्रालय और वहां के मज़हबी निदेशालय के बीच एक समझौते पर दस्तख़त किए गए हैं। तुर्की के संस्कृति मंत्री मेहमत नूरी एरसोय ने उन तमाम चिंताओं को तवज्जो देने की कोशिश की है कि इस फैसले से पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने एक ट्विट में कहा कि “...
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