कोर एरिया से एक राउंड लगाकर जिप्सी गेस्ट हाउस आ चुकी थी। पिछले दिन की सफारी और आज की आधी सफारी पूरी हो चुकी हो थी। आज की सफारी अगले ढाई घंटे में खत्म होने वाली थी। कई बार टाइगर रिजर्व की यात्राओं की तरह इस बार भी बाघ दिखाई देने को लेकर नाउम्मीदी ही थी। लेकिन घने जंगल में घूमने का रोमांच हमेशा बरकरार रहता है। तो एक बार हम फिर निकल पड़े कोर एरिया में। घास के मैदानों से होते हुए छोटे तालाब तक पहुंच गए। वहां सफेद कमल के फूल और तालाब पर पड़ती सूरज की रोशनी। काफी आकर्षक माहौल था। कुछ फोटो क्लिक किए और आगे बढ़ गए। हम जिस रास्ते से आगे बढ़ रहे थे, वह कोर और बफर का बॉर्डर था। पुराने इंद्री गांव का इलाका। अक्सर इस इलाके में बाघ द्वारा अलस्सुबह मवेशियों को मार दिए जाने की घटनाएं सुनाई पड़ती है। तो हमने दाएं-बाएं की जिम्मेदारी बांट ली और आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती जिप्सी पर बैठे-बैठे जंगल पर नजरें जमा...
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