बनारस कहें या वाराणसी- या कहें काशी, शहर तो एक ही है। लेकिन, यह तीनों नाम एक ही शहर का परिचय अलग-अलग अंदाज़ में देते हैं। वाराणसी कहें तो मन में चित्र बन जाता है भगवान विश्वनाथ की नगरी का या दशाश्वमेध घाट की दुनिया भर में मशहूर संध्या आरती का। इस नगरी की बात ही खास है। पुरानेपन की शोभा समेटे यह आगे बढ़ने को आतुर नगरी है। काशी कहते ही लगता है हम एक बहुत पुराने स्थान की बात कर रहे हैं जिसका संबध सीधे भगवान राम के पूर्वज सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की जीवन गाथा से जुड़ा है। यह नगरी सदियों से संस्कृति, शिक्षा, भारतीय वैदिक ग्रंथों के ज्ञान और इनसे जुड़े मुद्दों पर जांच-परख-रिसर्च और विकास का केंद्र रही है। बनारस में सूर्योदय का शानदार नजारा वहीं, बनारस कहते ही दिमाग में यहां के एक बीत गए युग की कहानी, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई, यहां के पान-ठंडाई-चाट-घाट और बनारसी साड़ियों की तस्वीर स...
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