कई लोग इसे दुनिया की सबसे मौलिक लग्जरी ट्रेन मानते हैं। तकरीबन सौ साल पुराने विंटेज डिब्बे, नेवी ब्लू व सुनहरे रंग से मिली जुली साज-सज्जा और वर्दियां, सफेद झक छत- ये सब कुछ आपके होश उड़ाने के लिए काफी हैं। पेरिस व इंस्ताबुल के बीच इस ट्रेन की सालाना यात्राएं तो कल्पनातीत मानी जाती हैं- खास लोगों और खास मौकों के लिए। अब इस ट्रेन की खूबी को इसी से समझा जा सकता है कि जब कभी खूबसूरती, सुरुचि, नजाकत व रूमानियत का बखान करना हो तो इस ट्रेन की छवि का इस्तेमाल किया जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ओरिएंट एक्सप्रेस की जिसे अब आम तौर पर वेनिस-सिंप्लॉन ओरिएंट एक्सप्रेस के तौर पर जाना जाता है। वेनिस-सिंप्लॉन ओरिएंट एक्सप्रेस का खूबसूरत रास्ता ओरिएंट एक्सप्रेस को उन ट्रेनों में गिना जाता है जो परिचय की मोहताज नहीं रही। शायद ही कोई और ट्रेन रही होगी जिसे अगाथा क्रिस्टी और ग्राहम ग्रीन जैसे लेखको...
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ट्रेनों में सफर मात्र किसी दूसरे स्थान पर जाने के लिए नहीं बल्कि सफर का लुत्फ उठाने के लिए भी किया जाता है। ऐसे ही लुत्फ के सफर के सिलसिले में इस बार हम चल रहे हैं दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर। पिछली बार हमने जिक्र किया था ऐतिहासिक ओरिएंट एक्सप्रेस का। इस बार हम बात कर रहे हैं उसी ट्रेन की एशियाई अनुकृति का। दरअसल इस ट्रेन का संचालन भी वेनिस-सिंप्लॉन ओरिएंट एक्सप्रेस का परिचालन करने वाली कंपनी ही कर रही है। थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया में चलती है ईस्टर्न एंड ओरिएंट एक्सप्रेस। एशिया में भारत की ‘पैलेस आन व्हील्स’ के बाद शाही ट्रेन यात्राओं में ईस्टर्न एंड ओरिएंट एक्सप्रेस का ही नाम है। इस ट्रेन ने अपना पहला सफर बैंकाक से सिंगापुर तक साल 1993 में तय किया था। यह ट्रेन एक बार में 132 सैलानियों को करीब 2,030 किलोमीटर तक का सफर तय करती है। यह ट्रेन परंपरा व आधुनिकता का रोमांचक सफर कर...
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