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जन्नत में खिले हैं फूल

जब भारत में प्रकृति की बेइंतहा खूबसूरती की बात हो तो कश्मीर का नाम सबसे पहले आता है। राजधानी श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन अब वहां की इस खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है, वादियां सैलानियों से गुलजार हैं। जबरवान पहाडिय़ों की तलहटी में बना यह ट्यूलिप गार्डन भारत में अपनी तरह का पहला ट्यूलिप गार्डन है

अगर आप फूलों के शौकीन है, महामारी में घर बैठे-बैठे ऊब गए हैं और कश्मीर जाने का प्लान बना रहे है तो देर मत कीजिए क्योंकि यहां दक्षिण एशिया का सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन है जहां हर साल की तरह इस साल भी ट्यूलिप फेस्टिवल का आयोजन होगा। बस, इस बार यह थोड़ा जल्दी हो रहा है क्योंकि फूल इस बार थोड़ा पहले खिल गए हैं। लिहाजा इस साल यानी 2021 में यह गार्डन 25 मार्च से खुल जाएगा। आम तौर पर यह अप्रैल के पहले सप्ताह में खुलता रहा है।

पिछले साल कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की मार झेल चुका यहां का पर्यटन उद्योग ट्यूलिप के बहाने सैलानियों की वापसी की उम्मीद लगा रहा है। पिछले साल बंद रहने के बाद अब यह गार्डन दो साल बाद खुल रहा है।

आप इस गार्डन में रंग बिरंगे ट्यूलिप फूल की कई प्रजातियों को करीब से देख सकते हैं और अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। जबरवान पहाडिय़ों की तलहटी में स्थित ट्यूलिप गार्डन में खिलने वाले सफेद, पीले, नीले, लाल, गुलाबी, नारंगी और न जाने कितने रंग के ट्यूलिप के फूल आपको मोहित कर देंगे। सतरंगी ट्यूलिप के फूलों से सजा ट्यूलिप गार्डन घाटी में पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गया है। केसर के फूलों की ही तरह ट्यूलिप के फूल भी कश्मीर की अलग पहचान बन गए हैं।

कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और ट्यूलिप इसके सौंदर्य को कई गुणा बढ़ा देते हैं। सिराज बाग चश्मेशाही के निकट इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन नाम के इस बगीचे में हर साल अप्रैल में ट्यूलिप फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है जो पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इस फेस्टिवल में केवल देश के पर्यटक ही नहीं बल्कि दुनिया भर के सैलानी ट्यूलिप की कई किस्मों को देखने आते हैं। कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने में यह फेस्टिवल बहुत बड़ा योगदान देता है। यहां करीब सत्तर किस्म के खूबसूरत और रंग बिरंगे ट्यूलिप लोगों को लुभाते हैं।

कश्मीर की वादियों में वसंत की शुरुआत के साथ रंग बिरंगे खूबसूरत ट्यूलिप खिल जाते हैं। पर्यटक फूलों के बीच शानदार दृश्य को कैमरे में कैद करने से नहीं चूकते है। यही कारण है कि श्रीनगर वादियों की सैर करने वालों के लिए ट्यूलिप गार्डन पर्यटकों के लिए आकर्षण का बन गया है। 

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस फेस्टिवल को 2007 में शुरू किया गया था जो दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करने में सफल रहा। यहां आकर पर्यटकों को स्थानीय व्यंजनों और लोक नृत्य का आनंद भी उठाने को मिलता है। इस फेस्टिवल के दौरान आप रंगारंग नाच गाने के साथ कश्मीरी पारंपरिक लोक संस्कृति का भी आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा हस्तशिल्प सामान, वस्त्रों और पारंपरिक चीजों की खरीददारी की जा सकती है। श्रीनगर की कश्मीरी पश्मीना शॉल, स्टोल और लकड़ी के शिल्प दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।

ट्यूलिप गार्डन, श्रीनगर शहर से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और 30 हेक्टेयर इलाके में फैला है। डल झील के किनारे जबरवान पहाडिय़ों की तलहटी में स्थित इस बगीचे में फूलों के मौसम में कम से कम 15 लाख ट्यूलिप बल्ब एक बार में खिलते हैं। यह गार्डन, शालीमार गार्डन, निशात बाग, चश्म-ए-शाही गार्डन और अन्य मुगल गार्डन के पास ही स्थित है। इस बगीचे में प्रवेश के लिए बड़ों को 50 रुपये और बच्चों को 20 रुपये देने पड़ते है। इस साल यहां जो 15 लाख बल्ब लगाए गए थे उनमें से तकरीबन 25 फीसदी इस समय खिल चुके हैं। फूलों की औसत उम्र तीन से चार हफ्तों की ही होती है, और ज्यादा बारिश या ज्यादा गर्मी से उनकी यह उम्र भी कम होने का अंदेशा रहता है। इसलिए हमेशा बेहतर होता है कि जैसे ही ये खिलें, उन्हें देख आया जाए। वरना, मौसम का क्या भरोसा।

इस साल अप्रैल के पहले महीने में फेस्टिवल के तौर पर एक सांस्कृतिक आयोजन भी करने की योजना है। यह ट्यूलिप फेस्टिवल हर साल इसलिए होता है ताकि श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन्स के फूलों की वैरायटी को दुनिया के सामने खुबसूरत अंदाज़ में पेश किया जा सके। वसंत ऋतु के समय पूरी कश्मीर की वादियों में ट्यूलिप के खूबसूरत और रंग बिरंगे फूल खिल जाते हैं तो नज़ारा सच में जन्नत से कम नहीं लगता है। जऱा सोचिये कितना मनमोहक और लुभावना होगा वो दृश्य जब खूबसूरत डल लेक के किनारे ट्यूलिप के रंग बिरंगे फूलों का एक गुलदस्ता सा सजा होगा। इस फेस्टिवल के दौरान जब आप ट्यूलिप गार्डन में प्रवेश करेंगे तो आपकी नजऱें वहीं ठहर जाएंगी।

फूलों से भरा पूरा गार्डन एक रंगीन चमकीले रेशमी कालीन जैसा प्रतीत होगा। ऐसा जादुई करिश्माई नज़ारा अपने शायद ही पहले कभी देखा होगा। सुन्दर और चमकीले ट्यूलिप जब अपना जादू बिखेरेंगे तो आप भी सम्मोहित खड़े रह जायेंगे। लाल, पीले, गुलाबी, सफ़ेद और नीले रंगों के ये फूल एक बड़ा सा गुलदस्ते जैसे दिखाई देते हैं। पिछले तीन-चार साल की राजनीतिक उथल-पुथल के दौर को छोड़े दें तो उससे पहले, हर साल करीब एक-डेढ़ लाख देसी और विदेशी पर्यटक इस ट्यूलिप फेस्टिवल की सुन्दरता को देखने के लिए उमड़ते रहे हैं।

फूलों के बीच कश्मीरी ब्रेड व कहवा का लुत्फ़ ही कुछ और है

श्रीनगर की खूबसूरती के बारे में हम सभी जानते हैं। ट्यूलिप गार्डन वहां जाने के लिए एक नए आकर्षण के तौर पर काम कर सकता है। अब तक यह भारत में अपनी किस्म का अकेला ट्यूलिप गार्डन था। हालांकि अब उत्तराखंड सरकार पिथौरागढ़ जिले में भी एक ट्यूलिप गार्डन स्थापित करने की योजना पर अमल कर चुकी है।

डल से लेकर अछबल तक, मुगलों द्वारा वादी-ए-कश्मीर में बनवाए गए तमाम बगीचे पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहे हैं। इन उद्यानों की विशेषता है विभिन्न सोपानों पर बने मनमोहक बगीचे, उनके मध्य बहते सुंदर झरने और आकर्षक फव्वारे। इन बगीचों में खिले रंगबिरंगे फूल और ऊंचे घने चिनार के पेड़ इनकी खूबसूरती और बढ़ाते है। इनमें श्रीनगर का शालीमार बाग सबसे भव्य है जिसे बादशाह जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां के लिए बनवाया था। निशात बाग 1633 में नूरजहां के भाई ने बनवाया था। शाहजहां द्वारा बनवाया गया बगीचा चश्म-ए-शाही है। इस बगीचे में एक चश्मे के आसपास हरा भरा बगीचा है। इस चश्मे का पानी भी काफी चमत्कारिक और रोगनाशक माना जाता है। लोग दूर-दूर से इसका पानी भरकर ले जाते हैं। यहां से कुछ दूर पहाड़ी पर दाराशिकोह द्वारा बनवाया गया परी महल स्थित है।

इन दिनों कश्मीर की खूबसूरती की बात ही कुछ और होती है

तो जनाब, अगर आप साल भर से दबी पड़ी कहीं घूमने जाने की इच्छा को पूरा करने की फिराक में हैं तो श्रीनर जाने का इससे बेहतर मौका और नहीं हो सकता।

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