बर्फीले पहाड़ों, ग्लेशियरों और हिमालयी नदियों से भरे उत्तराखंड में वाटरफॉल्स की कोई कमी नहीं है। इनमें कई पॉपुलर हिल स्टेशंस के आसपास हैं तो कई दुरुह, मुश्किल जगहों पर। पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी से करीब 33 किलोमीटर दूर है बिरथी वाटरफॉल्स, जो उत्तराखंड के सबसे ऊंचे वाटरफॉल्स में से एक है। साथ ही यह राज्य में उन वॉटरफॉल्स में से है जो अपने आप में एक डेस्टिनेशन भी हैं। आज हम इसी वाटरफॉल्स की सैर के लिए आपको ले चल रहे हैं….
बिरथी पहुंचने के कई रास्ते हैं, और यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरफ से बिरथी पहुंचना चाह रहे हैं…
मैं अपनी रॉयल एनफील्ड थंडरबर्ड बाइक से अल्मोड़ा से बिरथी के लिए रवाना हुआ हूं। मैंने बागेश्वर और कपकोट होते हुए बिरथी जाने का रास्ता चुना है। इस रास्ते अल्मोड़ा से बिरथी की दूरी है 162 किलोमीटर और इसे तय करने में आपको बाइक से 8 घंटे लग सकते हैं। यह इस पर भी निर्भर करता है कि आप कितना रुकते हुए जाते हैं। मेरी तरह आप भी फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो आपका मन कई जगह रुकने करता रहेगा।
रास्ता बेहद खूबसूरत है। मौसम खुला हुआ तो पूरे रास्ते भर नंदा देवी रेंज की बर्फ से लदी चोटियों के नजारे आपका मन मोहते रहेंगे। इतना शानदार रास्ता आपको थकान महसूस नहीं होने देता। अल्मोड़ा से निकलने के बाद बिनसर को दाईं तरफ छोड़ते हुए मैं बागेश्वर की तरफ मुड़ गया। बागेश्वर पहुंचने के बाद मैंने चौकोड़ी वाली रास्ता नहीं लिया, बल्कि कपकोट की तरफ निकल पड़ा।
बागेश्वर में गोमती व सरयू नदियों का संगम है। फिर बागेश्वर से कपकोट तक का हमारा रास्ता सरयू नदी के साथ-साथ ही चलता है। सरयू ऊपर से नीचे आ रही होती है और हम ऊपर की तरफ बढ़ रहे होते हैं। कपकोट से सरयू के उदगम स्थल यानी नंदा कोट चोटी की तलहटी का रास्ता अलग हो जाता है, और हम तेजम की तरफ बढ़ जाते हैं।
तेजम में तीन रास्ते मिलते हैं- एक बागेश्वर-कपकोट की तरफ से आने वाला, दूसरा पिथौरागढ़-थल की तरफ से आने वाला और तीसरा मुनस्यारी-बिरथी की तरफ से आने वाला। हम तेजम से मुनस्यारी वाले रास्ते पर निकल पड़ते हैं। यहां से बिरथी 14 किलोमीटर की दूरी पर है।
बिरथी से 2 किलोमीटर पहले बाला गांव पहुंचने पर दूर सामने की तरफ पहाड़ों में बिरथी फॉल्स का पहला नजारा होता है।
बिरथी में कुमाऊं मंडल विकास निगम का टूरिस्ट रेस्ट हाउस है। उसके पीछे से ही फॉल्स की तरफ जाने के लिए रास्ता चढ़ता है। फॉल्स को नजदीक से देखना महसूस करना हो तो पैदल रास्ता ही एकमात्र तरीका है। नीचे सड़क पर बने पुल से या सड़क पर किसी भी और जगह से उसकी भव्यता का अंदाजा नहीं होता।
रास्ता घने जंगल में से होकर है। चढ़ना शुरू किया तो सब तरफ झाड़ियां थीं, ऊपर आते-आते पेड़ों का आकार बढ़ गया है। रोमांच के शौकीन लोग, ऊपर झरने के उदगम तक ट्रैक के लिए भी जा सकते हैं। लेकिन वह ट्रैक लंबा और मुश्किल है। ऊपर मुनस्यारी या कालामुनी टॉप की तरफ से भी लोग ट्रैक करते हुए बिरथी तक आते हैं। यहां आसपास कई ट्रैक हैं। यह इलाका अपनी जड़ी-बूटियों के लिए भी स्थानीय लोगों में लोकप्रिय है।
मुनस्यारी जाने वालों के लिए बिरथी एक रोमांचक स्टॉप-ओवर हो जाता है। यहां रात्रि विश्राम करने वाले सैलानी अक्सर कुमाऊं मंडल विकास निगम के टूरिस्ट रेस्ट हाउस में रुकते हैं। हालांकि अब यहां एक-दो निजी गेस्ट हाउस भी तैयार हो गए हैं। मानसून के दौरान हालांकि वाटरफॉल्स का आकार काफी बढ़ जाता है लेकिन तब यहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है क्योंकि रास्ते में सड़कों पर पानी आने और भूस्खलन के कारण रास्ते रुकने का जोखिम रहता है।
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