
उत्तराखंड का अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए देश विदेश में पहचान रखता है। इसीलिए इसे सांस्कृतिक नगरी भी कहा जाता है। जितनी यहां की रामलीलाएं मशहूर हैं, उतना ही यहां का दशहरा भी अनूठा है। रामलीला मंचन और विजयदशमी की परंपराएं भारत में बहुत पुरानी हैं। अल्मोड़ा के मौजूदा दशहरे का स्वरूप है वहां रावण कुटुम्ब के तमाम लोगों के पुतले बनाए जाना और उनकी झांकी पूरे शहर में निकालना। भारत में बाकी सभी जगहों पर दशहरा के मौके पर रावण के साथ-साथ कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों के दहन की परंपरा है। शायद अकेला अल्मोड़ा का दशहरा ही है जहां रावण के कुल के 30 से ज्यादा पुतले हर साल बनाए जाते हैं।
आइए चलते हैं अल्मोड़ा!