नॉर्वे में किसी उड़न तश्तरी से प्रेरित यह होटल ऑरोरा बोरेअलिस देखने के लिए एक दूसरी दुनिया सरीखा माहौल खड़ा करता है उड़न तश्तरियां हमेशा से हमारी विज्ञान फंतासियों का अहम केंद्र रही हैं। फिल्मों, कहानियों में उड़न तश्तरियों को देखकर हम बचपन में कितने रोमांचित होते रहे हैं। मन करता रहा है न कि कहीं किसी खुले मैदान में अचानक आसमान से कोई उड़न तश्तरी उतर पड़े और कोई दूसरे ग्रह का प्राणी अचानक हमारे सामने आ खड़ा हो हाथ मिलाने लगे। उड़न तश्तरी और दूसरे ग्रह पर जीवन हमेशा से हमारे वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष की खोज के सबसे जटिल पहलुओं में से रहा है। ऐसे में कितना रोमांचक हो कि आप किसी ऐसे होटल में रुकें जो उड़न तश्तरी की शक्ल का हो। जहां इतना वीराना हो कि उड़न तश्तरी के सामने आ उतरने की कल्पना साकार होने का खयाल हमेशा तैरता रहे। वहां के कमरे किसी स्पा सरीखे हों और सामने बर्फीले...
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कंदीमा मालदीव ने उत्साह से लबरेज़ अपने नए कैम्पेन ‘लाइफस्टाल रीइमेजिंड’ के मद्देनज़र अब एक शानदार ग्लोबल ट्रैवल कंटेस्ट ‘365 डेज़ इन पैराइाइज़’ की घोषणा की है। इसके तहत किसी एक भाग्यशाली विजेता को मिलेगा पूरे एक साल तक अपने ख्वाबों जैसी जिंदगी बिताने का अवसर, और इसके लिए आपको सिर्फ एक फोटो अपलोड करनी है। है न बिल्कुल आसान! साथ ही रिजॉर्ट ने दुनियाभर से ट्रैवल शौकीनों को आमंत्रित किया है एक अद्भुत वैकेशन का अनुभव लेने के लिए ताकि वे मौज-मस्ती के नए मुहावरे गढ़ सकें और साथ ही, असीमित संभावनाएं तलाश सकें। 360 दिनों तक 360° अनुभव का लुत्फ लें इस कंटेस्ट के विजेता को मिलेगा खूबसूरत कंदीमा स्काय स्टूडियो में पूरी सुख-सुविधाओं के साथ ठहरने का मौका, रिजॉर्ट तक आने-जाने के लिए अनलिमिटेड राउंड ट्रिप घरे...
Read Moreअब जब घूमने के रास्ते खुल रहे हैं तो आइए जरा समझें होटलों की बुकिंग का एक और पेंच जो कई लोग नहीं समझ पाते एपी... एमएपी... सीपी... ईपी... होटलों के लिए कमरों की बुकिंग कराते वक्त या उनके ब्रोशर अथवा वेबसाइट को टटोलते वक्त ये सारे लफ्ज़ बार-बार हमारे सामने आते रहते हैं। आखिर ये हैं क्या और इनसे कमरों के किराये में क्यों फर्क पड़ जाता है? ये सब और कुछ नहीं बल्कि होटलों के मील (भोजन) प्लान हैं। आइए, जरा समझें कि अलग-अलग प्लान क्या हैं, ताकि अगली बार जब आप होटल के कमरे की बुकिंग कराएं तो इस बारे में पूरी तरह वाकिफ रहें। एपी यानी अमेरिकन प्लान अमेरिकन प्लान यानी एपी का मतलब है कि बताए गए होटल के किराये में कमरे के किराये के अलावा तीन वक्त का भोजन यानी सवेरे का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात्रि का खाना भी शामिल है। यूरोप और कई अन्य देशों में अमेरिकन ...
Read More‘हमसफर एवरेस्ट’ एक ऐसी किताब है, जिसे घुमक्कड़ी और ट्रैकिंग के हर शौकीन को पढ़ना चाहिए। यह हमें घुमक्कड़ी और ट्रैकिंग की नई राह दिखाती है। इस किताब को लिखा है नीरज मुसाफिर ने। नीरज पेशे से इंजीनियर हैं और दिल्ली मेट्रो में कार्यरत हैं, लेकिन उनकी पहचान एक जीवट ट्रैकर और घुमक्कड़ की है। वह जहां-जहां गए, वहां की यादें, अनुभव और वृत्तांत को अपने ब्लॉग पर लिख मारा। और, इस तरह से वह लेखन की दुनिया में आ गए। फिर शुरू हुआ पुस्तक लेखन का काम। ‘सुनो लद्दाख’ और ‘पैडल-पैडल’ के बाद ‘हमसफर एवरेस्ट’ उनकी तीसरी किताब है। ‘हमसफर एवरेस्ट’ एक रोचक किताब है, जिसमें नीरज अपनी पत्नी के साथ माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा के वृत्तांत को बताते हुए पाठकों को भी आभासी तरीके से अपने साथ-साथ बेस कैम्प ले जाते हैं। यह आभासी यात्रा पाठकों को यथार्थ ...
Read Moreमध्य प्रदेश जंगलों से भरा-पूरा है। एक से बढ़कर एक टाइगर रिजर्व हैं यहां। लेकिन इनके बीच भीड़ से दूर कई खामोश सुकून भरे जंगल भी हैं बारिश के दिन हो या गुजरते मानसून वाले दिन, जंगल प्रेमियों के लिए अक्सर ये दिन लुभावने लगते हैं। अक्टूबर से खुलने वाले राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व की ओर बेतहाशा भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ ऐसे पड़ाव होते हैं, जो थोड़े सकून से घूमने वालों के लिए पहली पसंद बन जाते हैं। ऐसा ही एक पड़ाव है मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का नरसिंहगढ़ अभयारण्य। यूं तो यहां गर्मी के दिनों को छोड़कर कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन मानसून की उतरन के बाद यहां की सैर वाकई शानदार होती है। तभी तो इस क्षेत्र को मालवा का कश्मीर कहा जाता है। अभयारण्य के बीच चिड़ीखो तालाब यहां की कुदरती खूबसूरती का नायाब तोहफा है। भोपाल के आसपास के जंगलों की हर बार की सैर रोमांचकारी होती है। बाहर से आने...
Read Moreकेरल में ही कई ऐसे नेशनल पार्क व वाइल्डलाइफ रिजर्व हैं जो सैलानियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन साइलेंट वैली नेशनल पार्क उन सबसे बहुत अलग है। यहां जो जैव विविधता है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलती। यहां जो सुकून है, और जो शांति है, वह भी कहीं और मिलनी मुश्किल ही है। तो जंगल में नीरवता कोई खास बात नहीं। लेकिन किसी वन में इतनी खामोशी हो कि वहां झिंगुरों तक की आवाज सुनाई न दे, तो वाकई हैरानी होती है। दरअसल साइलेंट वैली को अपना नाम इसी खासियत के चलते मिला। साइलेंट वैली यानी खामोश घाटी। लेकिन इस खामोश वन में भी जैव-विविधता की अद्भुत भरमार है। हकीकत तो यह है कि जिस तरह की जैव विविधता यहां देखने को मिलती है, वैसी पश्चिमी घाट में और कहीं नहीं मिलेगी। यहां के कुछ वनस्पति और जीव-जंतु तो पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं। कुदरत का यह अनमोल खजाना नीलगिरी पहाडिय़ों में है। साइले...
Read Moreइस ऐतिहासिक कस्बे को देखे बिना कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी समझी जाती है। दरअसल कई मायनों में इसकी अहमियत आसपास की बाकी प्रमुख जगहों के बराबर ही है कुल्लू-मनाली को दुनिया भर में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हर पर्यटक अपने जीवन में इन जगहों को एक बार तो जरूर निहारने की इच्छा रखता है। यही कारण है कि अमूमन पूरे साल भर यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है। कुल्लू से मनाली की ओर थोड़ा सा आगे ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर पतली कुल्ह से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर व्यास नदी को पार करके हम एक ऐतिहासिक स्थान ‘नग्गर’ पहुंचते हैं। यह वह जगह है जिसे देखे बिना आपकी कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। दरअसल माना जाता है कि कुल्लू के इतिहास और सांस्कृतिक पहलुओं की जड़ें इसी जगह पर विद्यमान हैं। तो आइए, फिर देर किस बात की...
Read Moreउत्तराखंड में राज्य के बाहर से आने वाले लोगों के प्रवेश और क्वारंटीन के नए नियम सोमवार से लागू हो गए हैं। हालांकि नियमों को पहले की तुलना में थोड़ा उदार किया गया है लेकिन राज्य में आने के लिए दो चीजें अब भी जरूरी हैं- एक तो smartcitydehradun.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन और दूसरा, कोविड की नेगेटिव जांच रिपोर्ट जो उत्तराखंड में प्रवेश करने के वक्त से पहले के अधिकतम 96 घंटे के दरम्यान की होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पड़ोसी पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ने पिछले हफ्ते जारी नए निर्देशों में राज्य में आने की सभी शर्तें, कोविड जांच की अनिवार्यता, रजिस्ट्रेशन आदि को खत्म कर दिया था। सात दिन तक की यात्रा के लिए नहीं होना होगा क्वारंटीन रजिस्ट्रेशन जरूरी सितंबर 21 से प्रभावी हुए नए नियमों के बाद भी उत्तराखंड की सीमा चौकियों पर रुकने व जांच कराने की स्थिति जस की तस रहे...
Read Moreयह बड़ा अजीब दौर है। जब कोरोना वायरस जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा था तो हम घरों में दुबके बैठे थे और जब वायरस खुलकर अपना खेल खेल रहा है तो हम ‘आ बैल मुझे मार’ के अंदाज में सबकुछ खोल दे रहे हैं। लेकिन लोगों का यह भी कहना है कि अब और कोई रास्ता भी नहीं बचा सिवाय इसके कि वायरस से दो-दो हाथ करते हुए ही आगे बढ़ा जाए। एक नया वायरस कई नई-नई चीजें हमें दिखा रहा है। कोविड-19 की मार सबसे ज्यादा झेलने वालों में ट्रैवल व टूरिज्म का उद्योग सबसे प्रमुख रहा है। उड्डयन क्षेत्र भी उसी का एक हिस्सा है। हालांकि एक के बाद एक देश और इलाके अपनी सीमाओं को फिर से खोल रहे हैं, लेकिन थोड़ी एहतियात फिर भी सब बरत रहे हैं। बुखार में ऊपर-नीचे होते तापमान की ही तरह कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या आस-पड़ोस में जैसे ही कम-ज्यादा होती है, रियायत व पाबंदियां उसी तरह घटती-बढ़ती रहती हैं। खास तौर प...
Read MoreThe World Travel & Tourism Council (WTTC) is delighted to announce that in just three short months, 100 destinations are now using its ‘Safe Travels’ stamp, with the Philippines becoming the official 100th destination. WTTC, which represents the global Travel & Tourism private sector, made history earlier this year when it launched the world’s first ever global safety and hygiene stamp, and today the Safe Travels stamp reached its first major milestone. The stamp, which was developed in order to help restore confidence in travellers and work to revive an ailing Travel & Tourism sector, is now also being used by many more major holiday destinations such as the Maldives, Bermuda, Namibia, Uganda and Montenegro. Maldives The specially designed stamp enables travellers...
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