निचले हिमालय की तलहटी में बीड़ गांव हिमाचल प्रदेश की जोगिंदर नगर घाटी के पश्चिम में स्थित है। इसे आम तौर पर भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी कहा जाता है। लेकिन इसके अलावा बीड़ इको टूरिज्म, आध्यात्मिक अध्ययन और ध्यान आदि गतिविधियों का भी केंद्र है। यह इलाका तिब्बती शरणार्थियों का बसेरा रहा है इसलिए बीड़ गांव में और आसपास कई बौद्ध मठ व स्तूप हैं। इसलिए पर्यटन के लिहाज से देखा जाए तो बीड़ का महत्व पैराग्लाइडिंग के अलावा भी बहुत है। लेकिन फिलहाल यहां आने वाले सैलानियों में बहुतायत पैराग्लाइडिंग के शौकीनों की है। कांगड़ा घाटी में उड़ता पैराग्लाइडर बिलिंग दरअसल पैराग्लाइडिंग के लिए टेक-ऑफ साइट है और बीड़ गांव मं लैंडिंग साइट है। दोनों को मिलाकर बीड़-बिलिंग कहा जाता है और वे इसी साझे नाम से ही ज्यादा लोकप्रिय भी हैं। बिलिंग करीब 16 किलोमीटर दूर है बीड़ गांव से, उत्तर की तरफ धौलाधार पर्वत श्रृ...
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दारमा घाटी को करीब दो दशक बाद फिर से अनुभव करना एक खूबसूरत ख्वाब को जीने जैसा था। मैं यकीनन इसे उत्तराखंड ही नहीं समूचे हिमालय की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक मानता हूं। मैं वहां सबसे पहले 2001 में अपने कुछ घुमक्कड़ साथियों के साथ गया था। इस बार यह देखकर कितना सुकून मिला कि पिछले 18-19 सालों में दारमा घाटी खूबसूरती के मामले में जरा भी कम नहीं हुई है। वही धौलीगंगा का निर्मल बहता पानी, वही पंचाचूली की मोहित करती चोटियां, वहा बुग्यालों की आरामदायक हरी गद्देदार बुग्गी घास और वही वहां के निवासियों का आदर सत्कार। कैंपिंग साइट से पंचाचूली ग्लेशियर की तरफ जाते ट्रेकर्स एक प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर होने के नाते कम से कम दारमा घाटी के लिए तो यह कहा ही जा सकता है कि दारमा नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। खास तौर पर दारमा के दुक्तु और दांतू गांव से पंचाचूली चोटियों का नयनाभिराम दृश्य आपको पागल ...
Read Moreकई बार किसी रोमांचक सफऱ पर जाते हुए महसूस होता है न कि यह चीज होती तो क्या बात होती या इस चीज में यह खूबी होती तो कितना अच्छा रहता। तो घुमक्कड़ों की ऐसी ही इच्छाओं ने कई नई चीजों के आविष्कार को जन्म दिया है तो कई पुरानी चीजों को नई शक्ल व नई सुहूलियत दी है। आइए जानते हैं ऐसी ही छह चीजों के बारे में जो आपके अगले सफर को थोड़ा और शानदार बना सकती हैं। सैंड फ्री मल्टीमैटः कई बार होता है न जब आप कहीं चटाई बिछाकर बैठते हैं तो आपके पैरों की मिट्टी उसपर आ जाती है या फिर आसपास की धूल-मिट्टी चटाई पर बिखर जाती है। ऐसी ही स्थितियों से बचने के लिए यह सैंड फ्री मल्टीमैट है जो दोहरी परत वाली मेश तकनीक से बनी है। इससे मिट्टी या रेत ऊपर से नीचे तो चले जाते हैं लेकिन नीचे से फिर ऊपर नहीं आ पाते। यही नहीं, यह मैट मिट्टी के अलावा गंदगी, गीली घास या पानी के बिखरने आदि से भी बचाती है। कैंपिंग व हाइकिंग आ...
Read Moreकोविड-19 के दौर में पिछले कुछ महीनों से आना-जाना सब रुका था। अब कई राज्यों ने अपनी सीमाओं को सैलानियों के लिए खोल दिया है, जिनमें हिमाचल प्रदेश भी है। लिहाजा हम यहां ले चल रहे आपको एक ऐसी यात्रा पर जो हिमाचल के किन्नौर इलाके में जुलाई-अगस्त के महीनों में होती है- किन्नर कैलाश की यात्रा। अगर आप जा पाएं तो बेहद शानदार वरना, घुमा तो हम आपको इस लेख से दे ही रहे हैं हिमाचल में यात्राओं का अपना ही रोमांच है लेकिन ये यात्राएं यदि रोमांच के साथ-साथ धार्मिक आस्था से ओत-प्रोत हों तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो जाती है। पूरे साल भर अपने उफान में रहने वाली इन यात्राओं में कुछ एक ऐसी यात्राएं हैं जिन्हे तय कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। इन यात्राओं को वही शख्स पूरा कर सकता है जिसके पास गूढ़ आस्था, बुलंद हौसला, प्रकृति से प्रेम और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तथा जो रोमांच के पलों को जीने की तमन...
Read Moreसुरकंडा का मंदिर देवी का महत्वपूर्ण स्थान है। दरअसल गढ़वाल के इस इलाके में प्रमुखतम धार्मिक स्थान के तौर पर माना जाता है। लेकिन इस जगह की अहमियत केवल इतनी नहीं है। यह इस इलाके का सबसे ऊंचा स्थान है और इसकी ऊंचाई 9995 फुट है। मंदिर ठीक पहाड़ की चोटी पर है। इसके चलते जब आप ऊपर हों तो चारों तरफ नजरें घुमाकर 360 डिग्री का नजारा लिया जा सकता है। केवल इतना ही नहीं, इस जगह की दुर्लभता इसलिए भी है कि उत्तर-पूर्व की ओर यहां हिमालय की श्रृंखलाएं बिखरी पड़ी हैं। चूंकि बीच में कोई और व्यवधान नहीं है इसलिए बाईं तरफ हिमाचल प्रदेश की पहाडिय़ों से लेकर सबसे दाहिनी तरफ नंदा देवी तक की पूरी श्रृंखला यहां दिखाई देती है। सामने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री यानी चारों धामों की पहाडिय़ां नजर आती हैं। यह एक ऐसा नजारा है तो वाकई दुर्लभ है। गढ़वाल के किसी इलाके से इतना खुला नजारा देखने को नहीं मिलत...
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