जब घुमक्कड़ी की बात आती है तो मुझे सबसे ज्यादा हिमालय पसंद हैं। मुझे हिमालय की गोद में जाकर जितना रोमांच मिलता है उतना किसी और बात में नहीं मिलता। उसी तरह जितना सुकून मुझे वहां मिलता है, उतना सुकून भी कहीं और नहीं मिलता। इसलिए कोई हैरत की बात नहीं कि हर थोड़े महीनों के बाद, मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं हिमालय की तरफ भाग लेता हूं। यही वजह थी कि जब मैंने अपनी नौकरी छोड़ी तो मैं भारत के उत्तर-पूर्व इलाके की ओर जाकर जम गया। और जहा सोचिए कि नौकरी छोड़ने के बाद मैंने पहला काम क्या किया? मैं तुरंत ही सबसे पहले हिमालय की तरफ भाग लिया और मैं केदारकांठा के लिए सर्दियों में ट्रेक पर निकल पड़ा। सर्दियों में ट्रेकिंग के शौकीन काफी लोग दिसंबर में केदारकांठा जाना पसंद करते हैं लेकिन मैंने जनवरी में जाना पसंद किया क्योंकि केदारकांठा का ट्रेक साल के किसी भी औऱ वक्त की तुलना में जनवरी के महीने में ...
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जांस्कर नदी हमारे उत्तर भारत के उस इलाके में स्थित हैं जो लगभग सात से आठ महीने तक दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग-थलग पड़ जाता है। इस दौरान यहां एक अलग ही दुनिया होती है। इसे देखकर लगता है मानो हम हिम-युग में पहुंच गए हैं। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख इलाके में जांस्कर क्षेत्र में स्थित जांस्कर नदी इन महीनों में पूरी तरफ बर्फ से ढक जाती है। मानो किसी ने नदी को सफेद चादर से ढक दिया हो। यह नजारा विलक्षण, अद्भुत व अविस्मरणीय बन पड़ता है। ऊपर बर्फ की ठोस मोटी परत और उसके नीचे से बहती हुई नदी की निर्मल, अविरल धारा। रोचक बात है कि बर्फ की यही चादर इन महीनों में इस इलाके की जीवनरेखा बन जाती है। प्राचीन काल से ही बर्फ से ढके इस रास्ते पर राजा-महाराजा, साधु-संन्यासी, बौद्ध भिक्षु और आम लोग तमाम तकलीफों से जूझते हुए भी अपने मुकाम पर बढ़ते रहे हैं। अब यह दुष्कर रास्ता हमेशा तो इस तरह से नजर नहीं आता। इसल...
Read Moreये बग्गी हमारी बग्गी जैसी नहीं है। टुंड्रा बग्गी पहियों पर ऐसी जगहों की सैर कराती है जहां जाने का कोई सड़क मार्ग नहीं। टुंड्रा बग्गी दुनिया की उन अजग-गजब चीजों में से है जो सैलानियों को लुभाती है। हम बात कर रहे हैं कनाडा के मनितोबा में हडसन खाड़ी के मुहाने पर स्थित चर्चिल की। इसे दुनिया की पोलर बीयर (ध्रुवीय भालू) राजधानी कहा जाता है। 2006 में चर्चिल शहर की आबादी महज 923 थी। लेकिन इस शहर में ट्रेन जाती है, यहां बंदरगाह है और रोजाना उड़ानें। नहीं है तो बस बाकी कनाडा के लिए कोई सड़क नहीं है। चर्चिल में तीन इकोसिस्टम आकर मिलते हैं- उत्तर में हडसन खाड़ी, उत्तर-पश्चिम में आर्टिक टुंड्रा और दक्षिण में घने जंगल। यह इलाका मई से अगस्त तक पक्षियों को देखने के लिए, जुलाई से अगस्त की गर्मियों में बेलुगा व्हेल मछलियों को देखने के लिए और अक्टूबर-नवंबर में पोलर बीयर देखने के लिए खासा लोकप्रिय है। टुं...
Read Moreकोर एरिया से एक राउंड लगाकर जिप्सी गेस्ट हाउस आ चुकी थी। पिछले दिन की सफारी और आज की आधी सफारी पूरी हो चुकी हो थी। आज की सफारी अगले ढाई घंटे में खत्म होने वाली थी। कई बार टाइगर रिजर्व की यात्राओं की तरह इस बार भी बाघ दिखाई देने को लेकर नाउम्मीदी ही थी। लेकिन घने जंगल में घूमने का रोमांच हमेशा बरकरार रहता है। तो एक बार हम फिर निकल पड़े कोर एरिया में। घास के मैदानों से होते हुए छोटे तालाब तक पहुंच गए। वहां सफेद कमल के फूल और तालाब पर पड़ती सूरज की रोशनी। काफी आकर्षक माहौल था। कुछ फोटो क्लिक किए और आगे बढ़ गए। हम जिस रास्ते से आगे बढ़ रहे थे, वह कोर और बफर का बॉर्डर था। पुराने इंद्री गांव का इलाका। अक्सर इस इलाके में बाघ द्वारा अलस्सुबह मवेशियों को मार दिए जाने की घटनाएं सुनाई पड़ती है। तो हमने दाएं-बाएं की जिम्मेदारी बांट ली और आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती जिप्सी पर बैठे-बैठे जंगल पर नजरें जमा...
Read Moreआप रोमांटिक सफर पर हो, वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए या किसी रोमांच की तलाश में, परंबिकुलम टाइगर रिजर्व के जंगल और जानवर कभी आपको निराश नहीं करेंगे। यह वो जंगल है जिसे मशहूर पक्षी विज्ञानी सालिम अली जैसे दिग्गजों ने अपनी लेखनी व चित्रों से खासा सराहा है और अमूर्त रूप दिया है। परंबिकुलम इसलिए भी खास है क्योंकि यह देश के सबसे नए टाइगर रिजर्व में से एक है। इसे फरवरी 2010 में ही देश के 38वें टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था। परंबिकुलम टाइगर रिजर्व केरल के पल्लकड जिले में पल्लकड शहर से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर चित्तूर तालुक में है। यहां की पहाडिय़ों की ऊंचाई समुद्र तल से 300 मीटर से लेकर 1438 मीटर तक है। केरल जैसी जगह पर 1400 मीटर से ऊपर की ऊंचाई मौसम में खासा बदलाव ला देती है। बाकी केरल के विपरीत परंबिकुलम में बड़ा खुशनुमा मौसम रहता है। यहां का तापमान सामान्य तौर पर 15 डिग्री से 32 डिग्री ...
Read Moreदृश्य 1गाड़ी के आगे अचानक दो सींग वाला लहीम-शहीम गैंडा (राइनो) आ गया। मुंह से चीख निकली और साथ ही दिल बल्लियों उछलने लगा। अरे, पृथ्वी का यह दुर्लभ जीव सामने, बिल्कुल लबे-सड़क खड़ा है। थूथन पर बड़ा-सा सींग, दूसरा सींग कुछ आधा-अधूरा सा दिख रहा था। गाड़ी खटाक से रुकी और हाथ दरवाजा खोलने की ओर गया... दृश्य -2सामने दौड़ लगी हुई है। लंबे-लंबे जिराफ एक दूसरे के साथ रेस लगा रहे हैं। उनके शरीर की लय इतनी मंत्रमुग्ध करने वाली है कि पता ही नहीं चलता है कि कब एक छोटा जिराफ गाड़ी के बिल्कुल बगल में, तकरीबन सटते हुए खड़ा हो जाता है... दृश्य 3ऐसा लगता है कि सड़क पर गाड़ी के आगे-आगे धूल का बवंडर चल रहा है। सहसा कुछ अनदेखा सा घटित होता है। धीमी रफ्तार से चल रही गाड़ी, अचानक रोक दी जाती है। फर्लांग भर दूरी पर गाड़ी के आगे जंगली भैंसों का दल खड़ा है। वे बहुत उग्र और परेशान नजर आ रहे हैं। अपने पै...
Read Moreमहानदी ओडिशा की सबसे विशाल नदी है, यह पता होते हुए भी सतकोसिया पहुंचकर इसकी भव्यता देखकर अचंभित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। सर्द सुबह में नदी के किनारे बने टैंट के सामने कुर्सी पर बैठकर गरम चाय की चुस्की लेते हुए और सामने पानी में रह-रहकर गोता लगाते परिंदों को निहारते हुए एकबारगी तो दिमाग से यह अहसास निकल सा जाता है कि हम टाइगर रिजर्व में है और ठीक हमारी पीठ के पीछे घना जंगल है। यहां न मोबाइल की जरूरत महसूस होती है और न ही बिजली की। सौर ऊर्जा की मदद से अंधेरा होने पर थोड़ी-बहुत रोशनी मिल जाती है। मीलों दूर गांवों से हवा के साथ लहराकर आती आवाजें संगीत का काम देती हैं। यह एक अलग दुनिया का अहसास है। सतकोसिया यानी सात कोस। दो मील का एक कोस यानी चौदह मील। चौदह मील यानी 22 किलोमीटर। ठीक यही लंबाई है 22 किलोमीटर की उस खड्ड की जिसमें से होकर महानदी गुजरती है। चौड़ा प्रपात और दोनों तरफ खड़ी पहा...
Read Moreम्यांमार की सीमा से लगे भारत के सुदूर पूर्वी कोने में अरुणाचल प्रदेश में है नामदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व। निहायत ही खूबसूरत और कुदरत की नियामतों का अनमोल खजाना। पहुंचना उतना सहज नहीं और शायद इसी वजह से यहां प्रकृति ने अभी अपना रंग कायम रखा है। लेकिन इसके बावजूद यहां कई ऐसे जानवर हैं जो दुर्लभ हैं। अरुणाचल प्रदेश का चांगलांग जिले में स्थित यह नेशनल पार्क 1983 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया। लेकिन इस पार्क की सबसे ज्यादा ख्याति इस बात में है कि यह दुनिया का अकेला पार्क है जिसमें जंगली बिल्ली की चार बड़ी प्रजातियां एक साथ मिल जाती हैं- बाघ, तेंदुआ (लेपर्ड), स्नो लेपर्ड और क्लाउडेड लेपर्ड। इसके अलावा भी कई अन्य छोटी जंगली बिल्लियां इस जंगल में हैं। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि लगभग दो हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले इस नेशनल पार्क की समुद्र तल से ऊंचाई भी 200 मीटर से लेकर 4571 ...
Read Moreवह माया थी, अपने चार शावकों के साथ। माया बाघिन ने तादोबा को उसी तरह की ख्याति दे दी है जिस तरह की कभी मछली बाघिन ने राजस्थान में रणथंबौर को दी थी। टेलिया इलाके में सैलानी अक्सर माया को उसके बच्चों के साथ देखने के लिए जरूरत आते हैं। हालांकि तादोबा को लोकप्रिय बनाने में माया के अलावा वाघदोह बाघ का भी बहुत हाथ रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह भारत का सबसे बड़ा बाघ है। अब यह कितना सच है, कहना मुश्किल है लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि वाघदोह को देखा तो लगता है कि वह वाकई बड़ा ही भव्य और दिव्य है। बाघ परिवार के पांच सदस्यों को एक साथ देखने का रोमांच सबको नसीब नहीं होता बहरहाल, यहां मैं जंगल के बीच पेड़ में मचान पर बैठा था और नीचे माया अपने परिवार के साथ पानी में खिलवाड़ कर रही थी। मई के महीने की कड़क दोपहर के बाद शाम ढलने वाली थी। जानवरों के सेंसस (गिनती) में भाग लेने का मेरे लिए त...
Read Moreधरती की सतह से ऊपर पहाडिय़ों में बनी गुफाओं से निकलकर इस बार आ जाएं नीचे... जमीन पर नहीं, बल्कि उससे भी नीचे यानी समुद्र की गहराइयों में। रोमांचप्रेमियों के बीच समुद्र में गोताखोरी, स्नोर्कलिंग या स्कूबा डाइविंग आजकल खासी लोकप्रिय हो रही है। लेकिन यहां हम बात स्कूबा डाइविंग की नहीं कर रहे, बल्कि दुनिया की अकेली ऐसी जगह की कर रहे हैं जहां रात गुजारने पहुंचने के लिए आपको वाकई स्कूबा डाइविंग करनी पड़ती है। यह अमेरिका की अकेली अंडरवाटर होटल है। एमरेल्ड लैगून जिसके नीचे है अंडरसी लॉज जूल्स अंडरसी लॉज अमेरिका में फ्लोरिडा के की लारगो में एमरेल्ड लैगून के नीचे स्थित है। सतह से 30 फुट नीचे लैगून के फर्श पर—पांच फुट ऊंचे पांवों पर—टिका यह अंडरसी केवल नाम के लिए नहीं बल्कि वाकई समुद्र में नीचे है। इसे रोमांच व सैर-सपाटे के मिलन का चरम भी कहा जा सकता है। इस लॉज में प्रवेश करने के लिए सागर के प...
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