उत्तराखंड में कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित धारचूला एक ऐसा शहर है जिसे काली नदी ने भारत व नेपाल के बीच बाँट रखा है। काली नदी दो सौ से ज़्यादा साल से इन दो इलाक़ों के बीच सीमा का काम कर रही है। भारत के धारचूला से नेपाल के दार्चुला जाने को नदी पार करने के लिए पुल है जिससे दोनों देशों के लोग सहजता से एक-दूसरे के यहाँ आ-जा सकते हैं। इस प्रचंड, वेगवान नदी के हाथों इस शहर के बंटने का इतिहास दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। यह तब की बात है, जब नेपाल के राजाओं और भारत पर कब्जा जमाए बैठी ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच दो साल चले युद्ध के खात्मे के तौर पर सन 1816 में सुगौली की संधि हुई थी। दरअसल धारचूला का इतिहास कुमाऊं के कत्यूरी राजाओं के साथ जुड़ा रहा है। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी व नेपाल के बीच हुए युद्ध से तकरीबन डेढ़ दशक पहले नेपाल के पृथ्वी नारायण शाह के शासन में नेपाल के एकीकरण के बाद शा...
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नेपाल सरकार ने 1 सितंबर से देश में चार्टर्ड व नियमित यात्री उड़ानों की इजाजत दे दी है लेकिन फिलहाल विदेशी सैलानियों को देश में आने की इजाजत नहीं मिलेगी। फिलहाल केवल नेपाली नागरिकों, कूटनीतिक मिशनों के प्रतिनिधियों, संयुक्त राष्ट्र संगठनों के प्रतिनिधियों और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही नेपाल में आने दिया जाएगा। साथ ही, एक दिन में केवल 500 लोगों को ही देश के भीतर आने की इजाजत दी जाएगी। काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा विदेशी सैलानियों को नेपाल में आने की इजाजत कब मिलेगी, इस बारे में भी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बताया गया है लेकिन नेपाली लोग बेरोकटोक देश के बाहर जा सकेंगे, बशर्ते वे उस देश में प्रवेश की शर्तें पूरी करते हों जहां वे जा रहे हैं। नेपाल में पिछले करीब छह महीने से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं। सितंबर-अक्टूबर के महीने नेपाल में पर्यटन के लिए पीक सीजन के तौर...
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