Wednesday, December 25
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नदी ने बाँट दिया शहर को दो देशों के बीच 

उत्तराखंड में कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित धारचूला एक ऐसा शहर है जिसे काली नदी ने भारत व नेपाल के बीच बाँट रखा है। काली नदी दो सौ से ज़्यादा साल से इन दो इलाक़ों के बीच सीमा का काम कर रही है। भारत के धारचूला से नेपाल के दार्चुला जाने को नदी पार करने के लिए पुल है जिससे दोनों देशों के लोग सहजता से एक-दूसरे के यहाँ आ-जा सकते हैं।

इस प्रचंड, वेगवान नदी के हाथों इस शहर के बंटने का इतिहास दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। यह तब की बात है, जब नेपाल के राजाओं और भारत पर कब्जा जमाए बैठी ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच दो साल चले युद्ध के खात्मे के तौर पर सन 1816 में सुगौली की संधि हुई थी। दरअसल धारचूला का इतिहास कुमाऊं के कत्यूरी राजाओं के साथ जुड़ा रहा है। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी व नेपाल के बीच हुए युद्ध से तकरीबन डेढ़ दशक पहले नेपाल के पृथ्वी नारायण शाह के शासन में नेपाल के एकीकरण के बाद शाह वंश ने अपनी सीमाओं का विस्तार पूर्व में सिक्किम तक और पश्चिम में गढ़वाल तक कर लिया था। हिमालयी इलाके पर आधिपत्य की उनकी यही महत्वाकांक्षा अंग्रेजों से युद्ध का कारण बनी और शाह राजाओं को हार का सामना करना पड़ा। उसी सुगौली की संधि में नेपाल की सीमा को काली नदी के दूसरे छोर तक सीमित कर दिया गया। काली नदी के इस पार का इलाका अंग्रेजों ने अपने पास रख लिया और वह तब से भारत का हिस्सा हो गया।

एक सैर सीमा के दोनों तरफ़ की, देखिए इस वीडियो में।

On the Kailash-Mansarovar route in Uttarakhand lies the Dharchula town, which has been divided by Kali River between two countries- India and Nepal. In fact, Kali River plays the role of International Border between two countries since 1816. There is a Indo-Nepal friendship bridge, which is used by people from both countries to cross-over daily as if they are living in a same town. Interesting isn’t it!

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