साल की आखिरी शाम को विदा करने और नए साल की पहली सुबह का स्वागत करने का ख्याल कुछ अलग ही तरीके से रोमांचित करता है। लेकिन हममें से ज्यादातर अपने आसपास की होटलों या रेस्तराओं की न्यू ईयर पार्टियों या डिनर से आगे सोच ही नहीं पाते। आखिरकार जाते साल की आखिरी शाम हमारे लिए बीते वक्त को याद करने की और नए साल की पहली सुबह नई उम्मीदें जगाने की होती है। छोड़िए होटलों की पार्टीबाजी और नाच-गाना। इस बार तो वैसे भी कोविड-19 के कारण पार्टियों का दौर कम रहेगा। हम आपको बता रहे हैं उन जगहों के बारे में, जहां भीड़-भड़क्के से दूर ढलते या उगते सूरज की लालिमा आपको भीतर तक आह्लादित कर देती है। सूरज के क्षितिज में समा जाने या उसे वहां से बाहर निकलते देखना सबसे सुकूनदायक पलों में से एक होता है। इनमें से कुछ जगहें ऐसी हैं जहां आप एक ही स्थान पर केवल अपनी नजरें घुमाकर शाम को सूर्यास्त और सवेरे सूर्योदय देख सकते हैं...
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देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में घृष्णेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग बारहवें स्थान पर आते हैं। मान्यता है कि इन सभी शिवलिंगों की यात्रा के अंत में घृष्णेश्वर के दर्शन बिना शिव भक्तों की यात्रा सफल नहीं होती। यह स्थान शिवालय-तीर्थस्थान कहलाता है। इस शिव मंदिर में स्थापित पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए शिव भक्तों को पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद पहुंचना होता है। उसके बाद सड़क मार्ग से 30 कि.मी. दूर वेरूल गांव पहुंचते है। यहां एक विशेष प्रकार के शांत वातावरण में स्थापित मंदिर यह दिखाई देता है। विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाएं मंदिर से एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर हैं और उनके समीप मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र भी है। मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले औरंगजेब का किला सड़क मार्ग से दिखाई देता है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफाओं के निकट स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग ...
Read Moreये बग्गी हमारी बग्गी जैसी नहीं है। टुंड्रा बग्गी पहियों पर ऐसी जगहों की सैर कराती है जहां जाने का कोई सड़क मार्ग नहीं। टुंड्रा बग्गी दुनिया की उन अजग-गजब चीजों में से है जो सैलानियों को लुभाती है। हम बात कर रहे हैं कनाडा के मनितोबा में हडसन खाड़ी के मुहाने पर स्थित चर्चिल की। इसे दुनिया की पोलर बीयर (ध्रुवीय भालू) राजधानी कहा जाता है। 2006 में चर्चिल शहर की आबादी महज 923 थी। लेकिन इस शहर में ट्रेन जाती है, यहां बंदरगाह है और रोजाना उड़ानें। नहीं है तो बस बाकी कनाडा के लिए कोई सड़क नहीं है। चर्चिल में तीन इकोसिस्टम आकर मिलते हैं- उत्तर में हडसन खाड़ी, उत्तर-पश्चिम में आर्टिक टुंड्रा और दक्षिण में घने जंगल। यह इलाका मई से अगस्त तक पक्षियों को देखने के लिए, जुलाई से अगस्त की गर्मियों में बेलुगा व्हेल मछलियों को देखने के लिए और अक्टूबर-नवंबर में पोलर बीयर देखने के लिए खासा लोकप्रिय है। टुं...
Read Moreकोर एरिया से एक राउंड लगाकर जिप्सी गेस्ट हाउस आ चुकी थी। पिछले दिन की सफारी और आज की आधी सफारी पूरी हो चुकी हो थी। आज की सफारी अगले ढाई घंटे में खत्म होने वाली थी। कई बार टाइगर रिजर्व की यात्राओं की तरह इस बार भी बाघ दिखाई देने को लेकर नाउम्मीदी ही थी। लेकिन घने जंगल में घूमने का रोमांच हमेशा बरकरार रहता है। तो एक बार हम फिर निकल पड़े कोर एरिया में। घास के मैदानों से होते हुए छोटे तालाब तक पहुंच गए। वहां सफेद कमल के फूल और तालाब पर पड़ती सूरज की रोशनी। काफी आकर्षक माहौल था। कुछ फोटो क्लिक किए और आगे बढ़ गए। हम जिस रास्ते से आगे बढ़ रहे थे, वह कोर और बफर का बॉर्डर था। पुराने इंद्री गांव का इलाका। अक्सर इस इलाके में बाघ द्वारा अलस्सुबह मवेशियों को मार दिए जाने की घटनाएं सुनाई पड़ती है। तो हमने दाएं-बाएं की जिम्मेदारी बांट ली और आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती जिप्सी पर बैठे-बैठे जंगल पर नजरें जमा...
Read Moreयह किसी ऊंटगाड़ी में जंगल सफारी का पहला और अब तक का अकेला अनुभव मेरे लिए था। अब यह दीगर बात है कि यह जंगल कोई प्रायद्वीपीय भारत के घने जंगलों (ट्रॉपिकल फॉरेस्ट) जैसा नहीं था। यहां जंगल के नाम पर लंबी सूखी घास, झाड़ियां, बबूल के पेड़, कैक्टस और रेत के टीले थे। फिर भी सफारी के लिए यहां बड़ी और खुली छत वाली बसें हैं। बसों में सफारी का यह फायदा है कि आप कम समय में ज्यादा रास्ता तय कर सकते हैं। आखिरकार हम उस नेशनल पार्क की बात कर रहे हैं जो तीन हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा इलाके में फैला है और क्षेत्रफल के मामले में भारत में दूसरा सबसे बड़ा नेशनल पार्क है। (सबसे बड़ा हिमालयी इलाके का हेमिस नेशनल पार्क है।) डेजर्ट नेशनल पार्क में गोडावण और ब्लैक बक ऊंटगाड़ी में सफारी के भी अपने फायदे हैं। मोटर इंजन की आवाज न होने से आप जानवरों को शोर से डराए बिना उनके नजदीक जा सकते हैं। फिर ऊंट के बिना...
Read Moreक्या बात है जब होटल का कमरा केवल रुकने का ठिकाना भर न रहे बल्कि रात भर तारों को निहारते रहने का भी अड्डा बन जाए। चिली में एल्की डोमोस ऐसी ही जगह है आंखों-आंखों में रातें गुजारने की बातें आपने फिल्मी गीतों में बहुत सुनी होंगी लेकिन इस बार जिस जगह हम आपको ले चल रहे हैं, वहां वाकई आपकी रातें केवल तारों को निहारते हुए ही गुजरेंगी। आखिरकार समूची दुनिया में तारों से लकदक आसमान को निहारने के लिए इससे बढ़िया जगह कोई नहीं। यहां रात वाकई तारों की सेज पर गुजरती है। हम बात कर रहे हैं दक्षिण अमेरिका में चिली के कोकिंबा क्षेत्र में स्थित एल्की घाटी की। यहीं पर है एल्की डोमोस जो दुनिया के कुल सात खगोलीय होटलों में से एक है और दक्षिणी गोलार्ध में अपनी किस्म का अकेला। इस होटल के कमरे आम कमरों जैसे नहीं बल्कि सात भूगणितीय गुंबद हैं। ये ऐसे इसलिए हैं ताकि आपको तारों भरी रात का सबसे शानदार नजारा मि...
Read Moreआप रोमांटिक सफर पर हो, वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए या किसी रोमांच की तलाश में, परंबिकुलम टाइगर रिजर्व के जंगल और जानवर कभी आपको निराश नहीं करेंगे। यह वो जंगल है जिसे मशहूर पक्षी विज्ञानी सालिम अली जैसे दिग्गजों ने अपनी लेखनी व चित्रों से खासा सराहा है और अमूर्त रूप दिया है। परंबिकुलम इसलिए भी खास है क्योंकि यह देश के सबसे नए टाइगर रिजर्व में से एक है। इसे फरवरी 2010 में ही देश के 38वें टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था। परंबिकुलम टाइगर रिजर्व केरल के पल्लकड जिले में पल्लकड शहर से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर चित्तूर तालुक में है। यहां की पहाडिय़ों की ऊंचाई समुद्र तल से 300 मीटर से लेकर 1438 मीटर तक है। केरल जैसी जगह पर 1400 मीटर से ऊपर की ऊंचाई मौसम में खासा बदलाव ला देती है। बाकी केरल के विपरीत परंबिकुलम में बड़ा खुशनुमा मौसम रहता है। यहां का तापमान सामान्य तौर पर 15 डिग्री से 32 डिग्री ...
Read Moreदृश्य 1गाड़ी के आगे अचानक दो सींग वाला लहीम-शहीम गैंडा (राइनो) आ गया। मुंह से चीख निकली और साथ ही दिल बल्लियों उछलने लगा। अरे, पृथ्वी का यह दुर्लभ जीव सामने, बिल्कुल लबे-सड़क खड़ा है। थूथन पर बड़ा-सा सींग, दूसरा सींग कुछ आधा-अधूरा सा दिख रहा था। गाड़ी खटाक से रुकी और हाथ दरवाजा खोलने की ओर गया... दृश्य -2सामने दौड़ लगी हुई है। लंबे-लंबे जिराफ एक दूसरे के साथ रेस लगा रहे हैं। उनके शरीर की लय इतनी मंत्रमुग्ध करने वाली है कि पता ही नहीं चलता है कि कब एक छोटा जिराफ गाड़ी के बिल्कुल बगल में, तकरीबन सटते हुए खड़ा हो जाता है... दृश्य 3ऐसा लगता है कि सड़क पर गाड़ी के आगे-आगे धूल का बवंडर चल रहा है। सहसा कुछ अनदेखा सा घटित होता है। धीमी रफ्तार से चल रही गाड़ी, अचानक रोक दी जाती है। फर्लांग भर दूरी पर गाड़ी के आगे जंगली भैंसों का दल खड़ा है। वे बहुत उग्र और परेशान नजर आ रहे हैं। अपने पै...
Read Moreमहानदी ओडिशा की सबसे विशाल नदी है, यह पता होते हुए भी सतकोसिया पहुंचकर इसकी भव्यता देखकर अचंभित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। सर्द सुबह में नदी के किनारे बने टैंट के सामने कुर्सी पर बैठकर गरम चाय की चुस्की लेते हुए और सामने पानी में रह-रहकर गोता लगाते परिंदों को निहारते हुए एकबारगी तो दिमाग से यह अहसास निकल सा जाता है कि हम टाइगर रिजर्व में है और ठीक हमारी पीठ के पीछे घना जंगल है। यहां न मोबाइल की जरूरत महसूस होती है और न ही बिजली की। सौर ऊर्जा की मदद से अंधेरा होने पर थोड़ी-बहुत रोशनी मिल जाती है। मीलों दूर गांवों से हवा के साथ लहराकर आती आवाजें संगीत का काम देती हैं। यह एक अलग दुनिया का अहसास है। सतकोसिया यानी सात कोस। दो मील का एक कोस यानी चौदह मील। चौदह मील यानी 22 किलोमीटर। ठीक यही लंबाई है 22 किलोमीटर की उस खड्ड की जिसमें से होकर महानदी गुजरती है। चौड़ा प्रपात और दोनों तरफ खड़ी पहा...
Read Moreम्यांमार की सीमा से लगे भारत के सुदूर पूर्वी कोने में अरुणाचल प्रदेश में है नामदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व। निहायत ही खूबसूरत और कुदरत की नियामतों का अनमोल खजाना। पहुंचना उतना सहज नहीं और शायद इसी वजह से यहां प्रकृति ने अभी अपना रंग कायम रखा है। लेकिन इसके बावजूद यहां कई ऐसे जानवर हैं जो दुर्लभ हैं। अरुणाचल प्रदेश का चांगलांग जिले में स्थित यह नेशनल पार्क 1983 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया। लेकिन इस पार्क की सबसे ज्यादा ख्याति इस बात में है कि यह दुनिया का अकेला पार्क है जिसमें जंगली बिल्ली की चार बड़ी प्रजातियां एक साथ मिल जाती हैं- बाघ, तेंदुआ (लेपर्ड), स्नो लेपर्ड और क्लाउडेड लेपर्ड। इसके अलावा भी कई अन्य छोटी जंगली बिल्लियां इस जंगल में हैं। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि लगभग दो हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले इस नेशनल पार्क की समुद्र तल से ऊंचाई भी 200 मीटर से लेकर 4571 ...
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